श्री सीता गायत्री मंत्र: विधि, लाभ और महत्त्वपूर्ण जानकारी (Sita Gayatri Mantra in Hindi)

श्री सीता गायत्री मंत्र
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भारतीय संस्कृति में माता सीता को त्याग, समर्पण और शुद्धता की प्रतीक माना गया है। श्री सीता गायत्री मंत्र एक अत्यंत प्रभावशाली और पवित्र मंत्र है, जो साधक को मानसिक शांति, पारिवारिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है। यह मंत्र नारी शक्ति की स्तुति करता है और जीवन में संतुलन एवं करुणा लाने का मार्ग दिखाता है। इस लेख में हम जानेंगे Sita Gayatri Mantra की विधि, लाभ और इससे जुड़ी आवश्यक बातें, जिससे आप इस मंत्र का अधिकतम लाभ उठा सकें।

मंत्र


“ॐ जानक्यै च विद्महे
भक्ता जनन्यै धीमहि
तन्नो सीता प्रचोदयात्॥”

श्री सीता गायत्री मंत्र न केवल एक आध्यात्मिक अभ्यास है बल्कि जीवन को दिव्यता की ओर ले जाने वाला एक सशक्त मार्ग है। जो भी भक्त इस मंत्र को श्रद्धा और विधि से जपते हैं, उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि स्वतः ही आने लगती है। यदि आपको यह लेख उपयोगी लगा हो, तो आप राम गायत्री मंत्र, हनुमान गायत्री मंत्र, जानकी अष्टकम और सीता राम विवाह गीत जैसे अन्य लेख भी जरूर पढ़ें, जो श्रीराम-सीता आराधना से जुड़े हैं।

पाठ विधि

  1. इस मंत्र का जप करने से पहले निम्नलिखित विधि का पालन करना चाहिए:
  2. प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और एक शांत स्थान पर आसन लगाएं।
  3. पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  4. अपने सामने माता सीता की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और दीप जलाएं।
  5. मन को शांत करके, एक माला (108 बार) का जप करें।
  6. यदि संभव हो तो यह मंत्र रोज़ 11, 21 या 108 बार जपें।
  7. यह संकल्प और श्रद्धा के साथ किया गया जप मन को दिव्य ऊर्जा से भर देता है और जीवन की बाधाओं को दूर करता है।
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मंत्र जप के लाभ

  • मानसिक शांति और संतुलन: इस मंत्र का नियमित जप तनाव और चिंता को दूर करता है, जिससे मन शांत रहता है।
  • पारिवारिक सुख-शांति: माता सीता का यह मंत्र घर में सौहार्द्र और प्रेम बनाए रखने में मदद करता है।
  • नारी शक्ति का जागरण: यह मंत्र स्त्रियों के आत्मबल को जागृत करता है और उन्हें आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।
  • धार्मिक उन्नति और पुण्य प्राप्ति: इस मंत्र का जप साधक को आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर करता है और पुण्य की प्राप्ति कराता है।
Shiv murti
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