वाराणसी।सन 1992 से चली आ रही वार्ड न० 03 फुलवरिया की रामलीला समिति अपनी उत्कृष्ट छवि और गंगा-जमुनी सहजीवन के लिए जानी जाती है। वाराणसी की इस प्रतिष्ठित रामलीला समिति की स्थापना जिन उद्देश्यों को ध्यान में रखकर की गई थी, वे आज भी स्थानीय समाज के समर्पण और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जीवंत हैं।
समिति की स्थापना और उद्देश्य
संस्थापक डॉक्टर एस के गुप्ता,हेमंत कुमार सिंह (अध्यक्ष), सचाऊ यादव (उपाध्यक्ष), रामाश्रय पाल, सुनील कनोजिया (महामंत्री) और विजय प्रसाद गौड़ के नेतृत्व में सभी वर्गों को जोड़ते हुए रामलीला मंचन के माध्यम से किशोरों और युवाओं की प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करना है। इस दिशा में समिति द्वारा नियमित रूप से सम्मान समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रतिभाशाली बच्चों और युवाओं को सम्मानित किया जाता है।
संस्थापक की विशेष भूमिका
समिति के संस्थापक अध्यक्ष, स्वर्गीय बिजामुद्दीन जी, अपने जीवन काल में निर्विवाद रूप से अध्यक्ष बने रहे। आज भी उनका पूरा परिवार, विशेषकर नजमुद्दीन (श्रृंगारकर्ता), समिति के सक्रिय सदस्य, पात्र और कार्यकर्ता के रूप में सहयोग प्रदान कर रहे हैं। समिति की एक और विशेषता यह है कि इसके सभी सदस्य – चाहे वे पात्र हों, वाद्य कलाकार, नृत्य कलाकार, या श्रृंगार कर्ता – सभी स्थानीय हैं, जो इसे और अधिक खास बनाता है।
रामलीला और मेला प्रबंधन
रामलीला प्रभारी राजेन्द्र पटेल और मेला प्रभारी पिन्टू यादव जी के साथ-साथ व्यवस्थापक राजकुमार भारद्वाज, सत्येन्द्र सिंह, सरन मौर्य, डॉ. नगीना, नन्दलाल पटेल और सनन्दन वर्मा समिति के प्रमुख सहयोगी हैं। सचिव मंदीप मौर्य, नीरज वर्मा, मनोज पाल, गुलाब मौर्य और शशिकांत सिंह भी इस आयोजन को सफल बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।
विशेष आकर्षण: राम बारात और भरत मिलाप
राम बारात इमिलिया घाट से एक भव्य शोभायात्रा के रूप में निकलती है, जिसमें भरत मिलाप की भव्य झांकी प्रमुख आकर्षण होती है। मानसनगर निवासी सदानन्द कुशवाहा के घर से निकलने वाली इस शोभायात्रा में नगरवासी तन, मन, और धन से अपना सहयोग देते हैं, जिसके लिए समिति नगरवासियों के प्रति आभार व्यक्त करती है।
यह समिति न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित कर रही है, बल्कि स्थानीय प्रतिभाओं को निखारने और प्रोत्साहित करने के अपने उद्देश्य में निरंतर समर्पित है।