श्री चित्रगुप्त जी की आरती: कर्म की याद और कर्मोक की द्शावीक गाथा

श्री चित्रगुप्त जी की आरती
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चित्रगुप्त जी को यम यम काल में यमा याद किया जाता है जब कि जीव और मृत्यु के कर्मों का जिना कार करने वाले यामराज की यात्रा की जाती है। चित्रगुप्त जी की चित्र और कार्य्य की खाता रखने वाले यामकीन की चित्राना के लिए उनकी आरती की जात है। इस लेख में ‘श्री चित्रगुप्त जी की आरती’ की जानकारी, विधि और लाभ की जानकारी दी गई है।

श्री चित्रगुप्त जी की आरती


ॐ जय चित्रगुप्त हरे,स्वामीजय चित्रगुप्त हरे,
भक्तजनों के इच्छित,फलको पूर्ण करे॥

विघ्न विनाशक मंगलकर्ता,सन्तनसुखदायी,
भक्तों के प्रतिपालक,त्रिभुवनयश छायी॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत,पीताम्बरराजै,
मातु इरावती, दक्षिणा,वामअंग साजै॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक,प्रभुअंतर्यामी,
सृष्टि सम्हारन, जन दु:ख हारन,प्रकटभये स्वामी॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

कलम, दवात, शंख, पत्रिका,करमें अति सोहै,
वैजयन्ती वनमाला,त्रिभुवनमन मोहै॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

विश्व न्याय का कार्य सम्भाला,ब्रम्हाहर्षाये,
कोटि कोटि देवता तुम्हारे,चरणनमें धाये॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

नृप सुदास अरू भीष्म पितामह,यादतुम्हें कीन्हा,
वेग, विलम्ब न कीन्हौं,इच्छितफल दीन्हा॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

दारा, सुत, भगिनी,सबअपने स्वास्थ के कर्ता ,
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी,तुमतज मैं भर्ता ॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

बन्धु, पिता तुम स्वामी,शरणगहूँ किसकी,
तुम बिन और न दूजा,आसकरूँ जिसकी॥

॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

जो जन चित्रगुप्त जी की आरती,प्रेम सहित गावैं,
चौरासी से निश्चित छूटैं,इच्छित फल पावैं॥
॥ॐ जय चित्रगुप्त हरे॥

न्यायाधीश बैंकुंठ निवासी,पापपुण्य लिखते,
‘नानक’ शरण तिहारे,आसन दूजी करते॥

ॐ जय चित्रगुप्त हरे,स्वामीजय चित्रगुप्त हरे,
भक्तजनों के इच्छित,फलको पूर्ण करे॥

जो भक्त श्री चित्रगुप्त जी की आरती की भक्ति और श्रद्धा के साथ पाठ करते हैं, उनके जीवन में कार्म की जान और जीव की नेती की ज्योति बनी रहती है। आईए आप ‘श्री चित्रगुप्त जी की आरती’ की भक्ति और नियमितता के साथ करें और जीवन को और आध्यात्मिक बनाएं।

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विधि

  • सुभक से पूर्व स्नान करें।
  • की चौकी की जोति की कलाश में घी जायें।
  • चित्रगुप्त जी की प्रतिमा की चित्र और कलम की प्रतिमा का चित्रचित्त करें।
  • घी की की शुभावता से चित्रगुप्त जी का ध्यान करें।
  • घी की की आरती की थाली जोत लालटी दीट की जोति में कान जाए।

लाभ

  1. जीव और कर्म के चित्र पर याद दिलाने की शक्ति मिलती है।
  2. चित्र और कार्म की गलतियों की सापके में समझाव बढ़ता है।
  3. कार्म की नेती और जीव की चेतना की प्राप्ति जानी जा कती है।
  4. चित्रगुप्त जी की कृपा से जीवन की सभागीता बढ़ती है।
  5. किर्या और प्रीञा कार्यों में जीव औन्नति की प्राप्ति बनी रहती है।