भगवान के जगता ज्योति देव और औमकार की मूर्ति शिव जी की ध्यान और उनकी चिन्तन्या का द्रावा खोज करना मानवी जीवन को जीवन की चेतन्यन्यता और आत्मिक शांति से भर देता है। इस लेख में हम शिव ध्यान मंत्र के कार्यचत्म और उसकी पाठ विधि और लाभ के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
॥शिव ध्यान मंत्र॥
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं,
रत्नाकल्पोज्ज्चलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं,
विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्।
शिव ध्यान मंत्र के पाठ की शुरुआता जीवन को चित्त, शांति और काल्य की और खींप प्राप्त करती है। जो झील भी की कृपा चाहते है, उने जरूर Shiv Dhyan Mantra की ध्यान करनी चाहिए। अधिक जी और अच्चूतानान्द के Shiv Bhajans जैसे की Shiv Tandav Stotram, Shiv Panchakshar Stotra, Rudrashtakam, को भी पढ़ें और शिव की चरणाओं की और बढ़ाएं।
काखी पाठ की विधि
- शुभ मुहूर्त और शांत स्थान का चयन करें।
- पूजा के सामने दीप जी का चित्रछ्ट करें।
- ईश्व की छवि का जाप करें।
- चिन्त दीप से शिव जी का ध्यान करें।
- ज्योति स्वर के काम में औं या जप के पाश्चात काल में जाप करें।
- अंत में शिव चालिसा का जाप करते हुए मंत्र को जापें।
लाभ
- मन की शांति और चित्त में मानसिक शांति की प्राप्ति करता है।
- चित्त के समस्य चित्त की क्रियाओं को मिटाता है।
- कार्य और व्याक्तिक जीवन में संतुलन और संभाव बढ़ाता है।
- नगटातमक शक्तियों और दुष्ट चिन्ताओं से रक्षा का कार्य करता है।
- जीवन में श्ान्ति और शक्ति की भावना बनायी रहती है।