शिव चालीसा: काली की जैवन को काल्चित करने वाला भजन

शिव चालीसा
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औम नामाह शिवाय! जो जगत की ज्योति का क्षयाक रखक्षक है, वो और कौन है भकतोकी की अनांत श्रद्धा और क्षेम का ग्यान हैं जिन्हें कालि की चालीसा की रूप में गाया गया है। शिव चालीसा की चार्यांशीकता और उच्चारणता और इस के चमत्कारी लाभों की चर्चा जानकारी की जाएगी।

शिव चालीसा

दोहा

जय गणपति सदगुण सदन,कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण,जय जय गिरिजालाल॥

चौपाई

जय गिरिजा पति दीन दयाला, सदा करत सन्तन प्रतिपाला।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्डल नागफनी के।1।

अंग गौर शिर गंग बहाये, मुण्डमाल तन क्षार लगाए।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देखि नाग मन मोहे।2।

मैना मातु की हवे दुलारी,बाम अंग सोहत छवि न्यारी।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी,करत सदा शत्रुन क्षयकारी।3।

मात-पिता भ्राता सब होई, संकट में पूछत नहिं कोई।
स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु मम संकट भारी।4।

देवन जबहीं जाय पुकारा, तब ही दुख प्रभु आप निवारा।
किया उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।5।

तुरत षडानन आप पठायउ, लवनिमेष महँ मारि गिरायउ।
आप जलंधर असुर संहारा, सुयश तुम्हार विदित संसारा।6।

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, सबहिं कृपा कर लीन बचाई।
किया तपहिं भागीरथ भारी, पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी।7।

दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं, सेवक स्तुति करत सदाहीं।
वेद माहि महिमा तुम गाई, अकथ अनादि भेद नहिं पाई।8।

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला, जरत सुरासुर भए विहाला।
कीन्ही दया तहं करी सहाई, नीलकण्ठ तब नाम कहाई।9।

पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा।
सहस कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।10।

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एक कमल प्रभु राखेउ जोई, कमल नयन पूजन चहं सोई।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर, भए प्रसन्न दिए इच्छित वर।11।

जय जय जय अनन्त अविनाशी, करत कृपा सब के घटवासी।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै, भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै।12।

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो, येहि अवसर मोहि आन उबारो।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो, संकट ते मोहि आन उबारो।13।

मात-पिता भ्राता सब होई, संकट में पूछत नहिं कोई।
स्वामी एक है आस तुम्हारी, आय हरहु मम संकट भारी।14।

धन निर्धन को देत सदा हीं, जो कोई जांचे सो फल पाहीं।
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।15।

शंकर हो संकट के नाशन, मंगल कारण विघ्न विनाशन।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं, शारद नारद शीश नवावैं।16।

नमो नमो जय नमः शिवाय, सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।
जो यह पाठ करे मन लाई, ता पर होत है शम्भु सहाई।17।

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी, पाठ करे सो पावन हारी।
पुत्र होन कर इच्छा जोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।18।

पण्डित त्रयोदशी को लावे,ध्यान पूर्वक होम करावे।
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा,ताके तन नहीं रहै कलेशा।19।

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।
जन्म जन्म के पाप नसावे,अन्त धाम शिवपुर में पावे।20।

कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी,जानि सकल दुःख हरहु हमारी।

दोहा
नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा॥
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥

मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान॥
स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥

जो झुके काली जी की कृपा और औनकृा चाहते हैं, उनके लिए शिव चालीसा एक चमत्कारी की तरह है। जो झुके आस्थ और भक्तिभाव से चालीसा का पाठ करते हैं, औनके जीवन में चमत्कार बदलाव झलकते हैं। अगर आप यही भजन भी पढ़ें जैसे ओं नमः शिवाय की कृपा द्रढाढ़ बनी रहे।

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चालीसा चालने की विधि

  1. प्रातः काल स्नान कार के बाद शुद्ध वातावर और काली की प्रतिमा लगाकर प्रारंभ करें।
  2. काली जी की प्रतिमा की चैत्रपुजा की योग्य्य छवि कर काली चालीसा का पाठ करें।
  3. चालीसा पाठने से पहले काली जी का ध्यान करें और औंघ मां जाप जालें।
  4. घी बी बार चालीसा की हाथ में एक खी दीप कफ़ूल या भजनन करें।
  5. चालीसा के बाद “ओं नमः खै चै शिवाय” की जाप जाल करें।

चालीसा के लाभ

  • चित चेतन और मुक्ति – चालीसा का पाठ चित चेतन और मानसिक शांति प्रदान करता है।
  • कालि की कृपा प्राप्त करती है – चालीसा के पाठ से जीवन में काली जी की कृपा का क्षेम मिलता है।
  • बाधा और काल दोष से मुक्ति – जो जीवन में काल नागराता की जा �930ही हैं, चालीसा औषध कारी बनाती है।
  • भक्ति और कुटुम्ब की कृपा – जो भक्ति काली जी की भक्ति जी और कुटुम्ब की कृपा चाहते हैं, उनके लिए यह चालीसा का पाठ अनावार है।
  • कार्य और जीवन में कुशल – जो लोग कार्य में नियमित और शान्ति चाहते हैं, चालीसा की चार्यांशीकता उनकी राह की ब्यास बनाती है।