आईआईवीआर में आज से शुरू हुआ विकसित कृषि संकल्प अभियानआईआईवीआर के वैज्ञानिक 47,000 किसानों तक पहुंचाएंगे आधुनिक कृषि तकनीक

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वाराणासी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान(आईआईवीआर) के नेतृत्व में विकसित कृषि संकल्प अभियान 2025 का शुभारंभ 29 मई मंगलवार से हो रहा है। जहाँ महत्वाकांक्षी अभियान के तहत आईआईवीआर के वैज्ञानिक अगले 15 दिनों में 6 जनपदों के लगभग 47,000 किसानों तक पहुंचकर आधुनिक कृषि उत्पादन एवं सुरक्षा तकनीकियों पर चर्चा करेंगे।
वही निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने वैज्ञानिकों से इस अभियान में पूर्ण समर्पण के साथ लगने की अपील की।और उन्होंने कहा कि यह अभियान किसानों को केवल जानकारी देने का नहीं,बल्कि विश्वास और मार्गदर्शन का भी अवसर है,जो किसानों को पोषणदाता के रूप में पहचान दिलाने और उनकी आय में स्थिरता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही यह वैज्ञानिकों को भी कृषि के क्षेत्र में अपनी पहचान स्थापित करने की दिशा में अवसर प्रदान करेगा.
नोडल अधिकारी डॉ. नीरज सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के दिशा-निर्देशों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह अभियान वाराणसी, संत रविदास नगर, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली और कुशीनगर जिलों में 12 जून तक चलाया जाएगा। इस दौरान वैज्ञानिक न केवल किसानों को नवीनतम तकनीकों की जानकारी देंगे, बल्कि उनकी खेती में आने वाली समस्याओं को समझकर व्यावहारिक समाधान भी प्रदान करेंगे।
मुख्य फोकस क्षेत्र
अभियान के दौरान वैज्ञानिक किसानों से निम्नलिखित प्रमुख विषयों पर चर्चा करेंगे:
सब्जी अनुसंधान एवं विकास: जल्दी पकने वाली, रोग प्रतिरोधक और पोषणयुक्त किस्मों की जानकारी देते हुए किसानों को पोषण गार्डन और किचन गार्डन अपनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
जलवायु परिवर्तन की चुनौतियाँ: बदलते मौसम के अनुकूल खेती के लिए सहनशील फसल किस्मों का चयन, जल-संरक्षण तकनीक और मिश्रित खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। बदलते मौसम का खेती पर प्रभाव – जैसे असमय बारिश, तापमान वृद्धि, लंबे सूखे आदि को सरल भाषा में समझाना है ।
गुणवत्तापूर्ण बीज: वैज्ञानिक प्रमाणित बीजों के महत्व पर जोर देते हुए स्थानीय बीजों के संरक्षण और सरकारी स्रोतों से बीज प्राप्ति के लाभों के बारे में बताया जाएगा।
कृषि रसायनों का विवेकपूर्ण उपयोग: अत्यधिक रसायन उपयोग से मिट्टी, जल और स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान की जानकारी देना है । समेकित कीट प्रबंधन (IPM), जैविक विधियों, फेरोमोन ट्रैप्स और नीम आधारित कीटनाशकों को अपनाने की सलाह देना है ।
उर्वरकों का संतुलित प्रयोग – मृदा परीक्षण के आधार पर पोषण पूर्ति कैसे करें, यह बताया जायेगा ।
कटाई के बाद प्रबंधन पर विशेष जोर
अभियान में पोस्ट-हार्वेस्ट मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। किसानों को बताया जाएगा कि सब्जियों में 30-40% तक नुकसान कटाई के बाद ही होता है। इसके लिए जीरो एनर्जी कूल चैंबर, बेहतर पैकेजिंग और उचित परिवहन जैसी कम लागत की तकनीकों को अपनाने की सलाह दी जाएगी।
आर्थिक सशक्तिकरण और मार्केट लिंकेज
किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से सामूहिक विपणन, मूल्य संवर्धन और ऑपरेशन ग्रीन्स जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने की जानकारी दी जाएगी।
संस्थान की तैयारी
आईआईवीआर में इस अभियान की तैयारियों को लेकर समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बताया गया कि इस अभियान के माध्यम से जुटाए गए डाटा और किसानों के फीडबैक का व्यापक पैमाने पर विश्लेषण किया जाएगा और किसानों के खेतों में आने वाली समस्याओं को समझकर उन पर आधारित शोध को बढ़ावा दिया जायेगा.

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