सावित्री गायत्री मंत्र: जीवन को जाग्रत करने वाला दिव्य प्रकाश

सावित्री गायत्री मंत्र
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भारतवर्ष की सनातन परंपरा में गायत्री मंत्र को परम शक्तिशाली और जीवन को दिशा देने वाला बताया गया है। सावित्री गायत्री मंत्र उसी महान मंत्र का एक विशेष रूप है, जिसमें सावित्री देवी की उपासना की जाती है – जो ज्ञान, शक्ति और सृजन की देवी मानी जाती हैं। यह मंत्र आत्मा की शुद्धि, मन की स्थिरता और जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाने का मार्ग खोलता है। इस लेख में हम जानेंगे इस मंत्र की सही विधि, इसके लाभ, और इसे जीवन में कैसे अपनाएं।

मंत्र


“ॐ भूर्भुवः स्वः , तत्सवितुर्वरेण्यं ।
भर्गो देवस्य धीमहि ।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥”

सावित्री गायत्री मंत्र न केवल एक वैदिक स्तुति है, बल्कि यह जीवन को दिशा देने वाला आध्यात्मिक पथ भी है। इसके नियमित जप से व्यक्ति अपने भीतर के अंधकार को दूर करके परम प्रकाश की ओर अग्रसर होता है। यदि आपको यह लेख उपयोगी लगा हो तो ॐ त्र्यम्बकं यजामहे मंत्र का महत्व, शिव गायत्री मंत्र की विधि और लाभ, गायत्री चालीसा का पाठ करें और सूर्य देव के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र जैसे और भी लेख अवश्य पढ़ें जो आपके साधना मार्ग को सरल बनाएंगे।

मंत्र जप की विधि

  1. शुद्धता का ध्यान रखें:
    सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  2. आसन ग्रहण करें:
    कुश या ऊन का आसन उपयोग करें ताकि ध्यान स्थिर रहे।
  3. दीपक जलाएं और ध्यान केंद्रित करें:
    एक तांबे के दीपक में घी का दीप जलाएं और अपने इष्ट देव का ध्यान करें।
  4. 108 बार जप करें:
    रुद्राक्ष या तुलसी की माला से 108 बार मंत्र का जप करें। यह जप सूर्योदय से पहले करना विशेष फलदायक होता है।
  5. नियमपूर्वक करें:
    21 दिन या 40 दिन तक नियमपूर्वक प्रतिदिन जप करें।
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मंत्र के अद्भुत लाभ

  • मानसिक शांति और एकाग्रता:
    इस मंत्र के नियमित जप से मन शांत होता है और ध्यान की शक्ति बढ़ती है।
  • आत्मबल और आत्मविश्वास में वृद्धि:
    यह मंत्र व्यक्ति के भीतर छिपी चेतना को जाग्रत करता है और जीवन के निर्णयों में स्पष्टता लाता है।
  • नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा:
    सावित्री गायत्री मंत्र का जाप जीवन में आने वाली बाधाओं, भय, और नकारात्मकता को दूर करता है।
  • छात्रों और साधकों के लिए अमृत:
    विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र स्मरण शक्ति और बुद्धि बढ़ाने में सहायक है, वहीं साधकों को आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।
  • स्वास्थ्य और ऊर्जा में सुधार:
    मंत्र के कंपन शरीर के ऊर्जात्मक केंद्रों (चक्रों) को जाग्रत करते हैं, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।