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साडी गली आवे श्यामा, अँखियां विछाईंयां वे

साडी गली आवे श्यामा, अँखियां विछाईंयां वे

साडी गली आवे श्यामा, अँखियां विछाईंयां वे भजन उस गहरी तड़प और प्रतीक्षा का स्वर है जहाँ राधा-कृष्ण प्रेमियों का मन श्यामसुंदर के आने की राह देखता है। यह पंक्तियाँ हृदय की गहराइयों से निकली पुकार हैं, जो भक्ति और प्रेम दोनों का संगम कराती हैं। हर श्वास में श्याम के आने की आस और हर दृष्टि उनके दर्शन की राह तकती है।

Sadi Gani Aave Shama,Akhiyan Vichniyan Ne

तरज़-सपनों में आनें वाले सामनें तो आजा      

साडी गली आवे श्यामा,अँखियां विछाईंयां वे,

सईयां नहीं जांदियां ने,तेरीयां जुदाईयां वे

साडी गली….

हर पल हर घड़ी,तेरीयां उड़ीकां ने

   तुईयों दस पाईंयां कानूं,लम्बीयां तरीकां ने

   तेरे झूठे लारेयां ते,आंखियां भर आईयां ने

   सईयां नहीं जांदियां ने,तेरीयां जुदाईयां वे

   साडी गली….

याद तेरी दिल विचों,कड नहीं सकदी

  प्रेम कित्ता दिलों तैंनूं,छड नहीं सकदी

  कित्ता की कसूर केड़िया,कितीयां बुराईयां

  वे

  सईयां नहीं जांदियां ने,तेरियां जुदाईंयां वे

  साडी गली….

अपने प्यारेयां नूं,ऐंना नहीं रुलाईदा

   लाके गले नाल कदे,हँसा वी लैणां चाहिदा

   आवेगा कदी ते आसा,दास ने लगाईयां ने

   सईयां नहीं जांदीयां ने, तेरीयां जुदाईयां वे

   साडी गली आवे श्यामा,अँखियां विछाईंयां  वे 

यह भजन हमें बताता है कि जब श्यामा की छवि मन में बस जाती है, तो जीवन का हर क्षण उनकी प्रतीक्षा में ही गुजरता है। साडी गली आवे श्यामा, अँखियां विछाईंयां वे सुनते ही हृदय में भक्ति, तड़प और शांति का अद्भुत संगम महसूस होता है। यह गीत हर भक्त को अपने प्रिय श्यामसुंदर के चरणों में समर्पित होने की प्रेरणा देता है।

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