रुरु भैरव गायत्री मंत्र: विधि, लाभ और महत्व

रुरु भैरव गायत्री मंत्र
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रुरु भैरव गायत्री मंत्र एक अत्यंत पवित्र और शक्तिशाली मंत्र है, जो भगवान भैरव की विशेष आराधना के लिए उपयोग किया जाता है। यह मंत्र न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि जीवन की अनेक बाधाओं को दूर करने में भी मदद करता है। आज के इस लेख में हम रुरु भैरव गायत्री मंत्र के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसकी विधि और लाभ को समझेंगे ताकि आप इसे सही तरीके से अपना जीवन में शामिल कर सकें।

भैरव गायत्री मंत्र

“ॐ रुरु भैरवाय विद्महे
कालभैरवाय धीमहि
तन्नो भैरवः प्रचोदयात्”

रुरु भैरव गायत्री मंत्र एक शक्तिशाली साधना है जो न केवल जीवन की परेशानियों को दूर करता है, बल्कि आंतरिक शांति और समृद्धि भी प्रदान करता है। इसकी सही विधि से जाप करने पर आप अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे। आप भी इस मंत्र को अपनी नियमित साधना में शामिल कर अपनी आध्यात्मिक यात्रा को और मजबूत बना सकते हैं।

विधि

  1. रुरु भैरव गायत्री मंत्र का जाप करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम और विधियां होती हैं, जो इस मंत्र के प्रभाव को बढ़ाती हैं।
  2. सबसे पहले शांत और साफ स्थान चुनें।
  3. सूर्योदय या सूर्यास्त के समय मंत्र का जाप करना अधिक फलदायक माना जाता है।
  4. ध्यान से मंत्र को तीन बार या कम से कम 108 बार जपना चाहिए।
  5. मंत्र जाप के दौरान पूरे मन से भैरव जी की आराधना करनी चाहिए।
  6. हाथ में जपमाला लेकर मंत्र का उच्चारण करें ताकि ध्यान भटकने से बचा जा सके।

लाभ

  • रुरु भैरव गायत्री मंत्र के नियमित जाप से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
  • भय और तनाव से मुक्ति: यह मंत्र मन में उत्पन्न भय और मानसिक तनाव को समाप्त करता है।
  • संकटों से सुरक्षा: जीवन में आने वाली बाधाओं और संकटों से रक्षा करता है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: आंतरिक ऊर्जा को जागृत कर आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।
  • स्वास्थ्य में सुधार: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर बनता है।
  • सकारात्मक ऊर्जा का संचार: पूरे वातावरण में सकारात्मकता फैलाता है।
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Shiv murti
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