राम जी की आरती हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती है। यह आरती भगवान श्रीराम की महिमा और उनकी कृपा का गुणगान करती है। राम जी को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है, जो सत्य, धर्म और आदर्शों के प्रतीक हैं। उनकी आरती गाने से मन को शांति मिलती है और भक्ति भाव जागृत होता है। आरती के दौरान दीप जलाकर राम जी की आराधना की जाती है, जिससे जीवन में सकारात्मकता और सुख-शांति का संचार होता है।
राम जी की आरती
श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन — हरण भवभय दारुणम्,
नव कंज लोचन — कंज मुख कर कंज पद कंजारुणम् ॥
॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन ॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि — नव नील नीरद सुन्दरम्,
पट पीत मानहुं तड़ित रूचि — शुचि नौमि जनक सुतावरम् ॥
॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन ॥
भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनम्,
रघुनन्द आनन्द कन्द कौशल चन्द्र दशरथ नन्द्नम् ॥
॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन ॥
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषणम्,
आजानुभुज शर चाप-धर — संग्राम जित खरदूषणम् ॥
॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन ॥
इति वदति तुलसीदास — शंकर शेष मुनि मन रंजनम्,
मम ह्रदय कंज निवास कुरु — कामादि खल दल गंजनम् ॥
॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन ॥
मन जाहि राचेऊ मिलहि — सो वर सहज सुन्दर सांवरो,
करुणा निधान सुजान शील सनेह जानत रावरो ॥
॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन ॥
एहि भांति गौरी असीस सुन सिय हित हिय हरषित अली,
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि — पुनि मुदित मन मन्दिर चली ॥
॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन॥
राम जी की आरती केवल एक धार्मिक प्रथा नहीं है, बल्कि यह हमारी आस्था और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इसे गाने से मन को दिव्यता का अनुभव होता है और भगवान राम की कृपा प्राप्त होती है। जीवन में यदि कठिनाइयाँ आ रही हों या मन अशांत हो, तो राम जी की आरती करने से नई ऊर्जा और आत्मविश्वास मिलता है। आइए, हम सभी राम जी की आरती को अपने जीवन का हिस्सा बनाकर उनके आदर्शों को आत्मसात करें। जय श्री राम!