
शादी-ब्याह का मौसम खुशियों और रौनक का प्रतीक होता है, लेकिन इसी समय बाजार में महंगाई भी बढ़ने लगती है। खासकर सब्जियों के दाम तेजी से बढ़ जाते हैं, जिससे आम लोगों की रसोई पर सीधा असर पड़ता है और मासिक बजट बिगड़ जाता है।
विवाह समारोहों में सैकड़ों लोगों के लिए भोजन तैयार किया जाता है। होटल, कैटरिंग और घरों में एक साथ बड़ी मात्रा में सब्जियों की जरूरत पड़ती है। टमाटर, आलू, प्याज, गोभी और हरी सब्जियों की खपत कई गुना बढ़ जाती है। जब मांग तेजी से बढ़ती है और आपूर्ति उतनी नहीं हो पाती, तो कीमतें अपने आप ऊपर चली जाती हैं।
परिवहन की सीमाएं, मौसम की मार और भंडारण की कमी भी महंगाई को बढ़ावा देती है। कुछ व्यापारी स्थिति का फायदा उठाकर दाम और बढ़ा देते हैं, जिससे आम उपभोक्ता और परेशान हो जाता है।
महंगी सब्जियों के कारण कई परिवार कम मात्रा में खरीदने को मजबूर हो जाते हैं या सस्ती विकल्पों पर निर्भर रहते हैं। इससे पोषण संतुलन भी प्रभावित होता है।
मौसमी और स्थानीय सब्जियों का चयन, सोच-समझकर खरीदारी और फिजूल खर्च से बचाव इस समस्या को कुछ हद तक कम कर सकता है
शादी का मौसम खुशियां लाता है, लेकिन उसके साथ सब्जियों की बढ़ती कीमतें एक बड़ी चुनौती भी बन जाती हैं। संतुलन और समझदारी से ही इससे निपटा जा सकता है।
