मुस्लिम महिलाओं ने योग कर कट्टरपंथियों को दिया जबाव

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भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है योग

जिंदगी को जहन्नुम बनाने वाले मौलानाओं का करें बहिष्कार

मानसिक तनाव और अशांति से बचने के लिए योग करें

वाराणसी, 21 जून। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम महिला फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में लमही के सुभाष भवन में वोक्ससेन यूनिवर्सिटी, हैदराबाद में यौगिक स्टडीज की सहायक प्रोफेसर विशाखा राव ने मुस्लिम महिलाओं समेत सामाजिक कार्यकर्त्ताओं, बच्चों को योग सिखाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर पीएचडी करने वाली डॉ० नजमा परवीन के नेतृत्व में सुभाष भवन में जुटी मुस्लिम महिलाएं योग करके स्वस्थ रहने का टिप्स लेने नहीं आई थीं बल्कि उन कट्टरपंथियों को जबाव भी देने आई थीं जो हर बात को इस्लाम से जोड़कर आम मुसलमानों की जिंदगी को जहन्नुम बना चुके हैं। मुस्लिम महिलाओं का नेतृत्व करने वाली सोशल लीडर डॉ० नजमा परवीन ने ऐसे लोगों का बहिष्कार करने की अपील की, जो भारतीय संस्कृति, पहचान और परम्पराओं के दुश्मन हैं।

विशाखा राव ने मुस्लिम महिलाओं को बताया कि योग करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य ठीक रहता है। विभिन्न आसन को बहुत बारीकी से समझाया और प्रतिदिन योग करने की सलाह दी।

इस अवसर पर डॉ० नजमा परवीन ने कहा कि योग भारत की महान संस्कृति का हिस्सा है। हमारे पूर्वजों ने योग करके मन और तन दोनों को ठीक रखा। इसलिए भारतीय न हिंसक बना और न हमलावर। योग तो उन देशों को भी सीखना चाहिए जिनके नागरिक ही विकृत हो। एक दूसरे की हत्या करना, धर्म के नाम पर हिंसा फैलाना, धर्म पूछकर गोली मारना यह सब मानसिक विकृति का ही परिणाम है। बम से दुसरों को उड़ाकर जन्नत जाने की परिकल्पना मानसिक दिवालियेपन की निशानी है। मुस्लिम देशों में तो योग अनिवार्य करना चाहिए। योग से हिंसा, नफरत,द्वेष खत्म होगा। जब मन ठीक रहेगा तो प्रेम, शांति और भाईचारा की स्थापना होगी।

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विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि मानसिक दिवालियेपन के शिकार लोगों को योग कराया जाना चाहिए। योग मन को शांत करता है और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाता है। योग संतुलित व्यवहार सिखाता है और जीवन के साथ शरीर को भी स्वस्थ रखने का तरीका बताता है। जिस धर्म को मानने वाला है उसके लिए योग एक प्राकृतिक उपहार है। योग अपनाएं, रोग दूर भगाएं।

इस अवसर पर डॉ० अर्चना भारतवंशी, डॉ० मृदुला जायसवाल, ज्ञान प्रकाश जी, शिवसरन सिंह, खुर्शीदा बानो, नगीना बेगम, महरुननिशा, जरीना, रुखसार, महरुन, किशुना, गीता, सुनीता, मैना, कविता, अनीता, प्रभावती, सरोज, पार्वती, बिन्दु, बेचना, अंजू, रमता, लक्ष्मीना, इली, खुशी, उजाला, दक्षिता भारतवंशी आदि लोग मौजूद रहे।