हमारे शास्त्रों में मंत्रों का विशेष स्थान है, और जब बात आती है सर्प दोष या नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने की, तो Sarpa Gayatri Mantra एक अत्यंत प्रभावशाली साधन माना गया है। यह मंत्र न केवल सर्पदोष को शांत करता है, बल्कि जीवन में भय, चिंता और बाधाओं को भी दूर करता है। इस लेख में हम जानेंगे Sarpa Gayatri Mantra की सही विधि, इसके लाभ और इसे जपते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
मंत्र
ॐ अनन्ताय विद्महे।
सर्पराजाय धीमहि।
तन्नो नागः प्रचोदयात्॥
Sarpa Gayatri Mantra केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि एक साधना है जो व्यक्ति को अदृश्य संकटों से मुक्त कर शांति और संतुलन की ओर ले जाती है। अगर आप भी जीवन में सर्प दोष, अनावश्यक भय या मानसिक अस्थिरता से परेशान हैं, तो इस दिव्य मंत्र का सहारा लें। यह मंत्र आपको न केवल आंतरिक शक्ति देगा, बल्कि आपके जीवन में नकारात्मकता को भी दूर करेगा।
जप की विधि
- शुद्धता और स्थान का चयन: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा के लिए एक शांत और पवित्र स्थान चुनें।
- नाग देवता का चित्र या प्रतिमा रखें: एक साफ चौकी पर नाग देवता की तस्वीर या प्रतिमा रखें। उन्हें चंदन, फूल, धूप और दीप अर्पित करें।
- मंत्र जप की संख्या: कम से कम 108 बार Sarpa Gayatri Mantra का जप करें। यदि संभव हो तो रुद्राक्ष माला का प्रयोग करें।
- सावधानी: मंत्र जप करते समय मन एकाग्र रखें। यह मंत्र पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ ही फल देता है।
जप के लाभ
- सर्प दोष से मुक्ति: जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है, उनके लिए यह मंत्र अत्यंत लाभकारी है। इससे जीवन में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
- अदृश्य भय और चिंता का नाश: यह मंत्र मानसिक तनाव, भय और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: इस मंत्र का जप व्यक्ति के भीतर शांति, संतुलन और स्थिरता लाता है, जिससे आत्मिक प्रगति होती है।
- स्वास्थ्य और समृद्धि: नियमित रूप से इस मंत्र का जप करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और जीवन में समृद्धि बढ़ती है।