भारतीय संस्कृति में भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के जनक और देवताओं के वैद्य के रूप में पूजा जाता है। जब बात रोगों से मुक्ति, तन-मन की शुद्धता और दीर्घायु की होती है, तो Dhanvantri Mantra का जप एक दिव्य उपाय माना जाता है। यह मंत्र न केवल शारीरिक आरोग्य प्रदान करता है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा से भी भर देता है। इस लेख में हम इस मंत्र के महत्व, जप की विधि और इसके लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Mantra
ॐ श्री धन्वंतरये नमः।
Dhanvantri Mantra न केवल एक आध्यात्मिक साधना है, बल्कि यह जीवनशैली को स्वस्थ, संतुलित और सकारात्मक बनाने का दिव्य माध्यम भी है। इस मंत्र को श्रद्धा और नियमितता से जपने वाले व्यक्ति को आरोग्य, आयु और आनंद की प्राप्ति होती है। अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा हो, तो “ॐ धन्वंतरये नमः मंत्र के लाभ”, “धन्वंतरि मंत्र कब और कैसे करें?”, “आयुर्वेद में धन्वंतरि की भूमिका”, और “भगवान धन्वंतरि की आरती” जैसे अन्य लेख भी ज़रूर पढ़ें जो आपके जीवन को और भी स्वास्थ्यपूर्ण बना सकते हैं।
जप विधि
- शुभ समय का चयन करें: धन्वंतरि मंत्र का जप प्रातःकाल या संध्या समय शांत वातावरण में करना श्रेष्ठ होता है। विशेषकर गुरुवार का दिन शुभ माना जाता है।
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें: शुद्धता और मानसिक एकाग्रता आवश्यक होती है। एक शांत स्थान पर आसन लगाकर बैठें।
- दीपक जलाएं और भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा या चित्र के समक्ष बैठें: संभव हो तो तुलसी का दीपक जलाएं और धूप-दीप अर्पित करें।
- जप माला का उपयोग करें: रुद्राक्ष या तुलसी की माला से 108 बार मंत्र का जप करें। ध्यान रहे कि मंत्र का उच्चारण स्पष्ट और श्रद्धा से हो।
- आरती व प्रार्थना करें: अंत में भगवान धन्वंतरि से आरोग्य और दीर्घायु की कामना करते हुए प्रार्थना करें।
लाभ
- रोगों से सुरक्षा: यह मंत्र शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और पुरानी बीमारियों से राहत देता है।
- मानसिक शांति: नियमित जप से मानसिक तनाव, चिंता और नकारात्मकता कम होती है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: धन्वंतरि मंत्र घर और जीवन में शुद्धता, पवित्रता और सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनाता है।
- आयुर्वेदिक उपचारों में सहायक: जो लोग आयुर्वेदिक चिकित्सा ले रहे हैं, उनके लिए यह मंत्र और भी अधिक प्रभावी होता है।