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मनराजपुर हत्याकांड: कोर्ट ने चंदौली पुलिस की निष्पक्षता पर उठाए सवाल, डीजीपी को जांच की निगरानी का आदेश

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चंदौली: चर्चित मनराजपुर हत्याकांड एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की अदालत ने मामले में चंदौली पुलिस की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाते हुए डीजीपी मुख्यालय को पूरे मामले की जांच अपनी निगरानी में कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि जांच की प्रगति रिपोर्ट हर 15 दिनों के अंतराल पर अदालत में पेश की जाए।

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सीजेएम कोर्ट ने 29 अगस्त को दिए गए आदेश में सैयदराजा थाने में दर्ज मुकदमा अपराध संख्या-119/2022, धारा-323, 304, 452 आईपीसी के तहत विवेचना की धीमी गति पर असंतोष जताया। कोर्ट ने पाया कि इस मामले में शामिल सभी अभियुक्त पुलिसकर्मी हैं, और दो वर्षों से अधिक समय से यह मामला लंबित है, जिससे विवेचना की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं। कोर्ट का मानना है कि पुलिस जानबूझकर विवेचना में देरी कर रही है, जिससे निष्पक्ष न्याय की संभावना धूमिल हो रही है।

मनराजपुर हत्याकांड की पृष्ठभूमि
1 मई 2022 को चंदौली पुलिस ने जिला बदर हिस्ट्रीशीटर कन्हैया यादव के घर दबिश दी थी। इस दौरान कन्हैया की बेटी की कथित मौत का मामला सामने आया था। कन्हैया यादव ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उनकी बेटी को पीट-पीटकर मार डाला। इस घटना ने व्यापक विरोध-प्रदर्शन को जन्म दिया था, और अखिलेश यादव, चंद्रशेखर रावण, संजय सिंह समेत कई बड़े नेता मनराजपुर पहुंचे थे। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सीधे पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया था। इस मामले में कन्हैया की दूसरी बेटी गुंजा ने भी पुलिस के खिलाफ गंभीर दावे किए थे, जिससे मामला और अधिक सनसनीखेज हो गया।

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अब इस केस की जांच डीजीपी के नेतृत्व में निष्पक्ष रूप से कराए जाने का आदेश कोर्ट द्वारा दिया गया है, जिससे न्याय की उम्मीदें फिर से जाग उठी हैं।

ब्यूरो चीफ गणपत राय

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