जिथे काली पैर धरदी जान धरती नू पैंदीया तरेड़ां

जिथे काली पैर धरदी जान धरती नू पैंदीया तरेड़ां
Shiv murti

जिथे काली पैर धरदी जान धरती नू पैंदीया तरेड़ां भजन मां काली की अद्भुत शक्ति और उनके अद्वितीय स्वरूप का वर्णन करता है। मां के एक चरण भर से धरती हिल उठती है, यह दृश्य भक्तों के मन में भय और भक्ति दोनों का संचार करता है। इस भजन को सुनते ही हृदय में शक्ति और श्रद्धा का प्रवाह उमड़ पड़ता है।

Jithe Kali Pair Dhardi Jaan Dharti Paidiya Tareda

माँ कालका चण्डी रूप धारया

चण्ड मुण्ड चुन्न चुन्न सी मारिया

कट्टे भगता दे दुखा वाला गेड़ा

माँ जिथे काली पैर धरदी

जान धरती नू पैंदीया तरेड़ां…

तांडव करदी माँ महाकाली

  लहू दे खप्पर करी जावे ख़ाली

भदरकली दी झलक तो डरदे

बड़े बड़े योद्धे बलशाली

मारे पापीआँ दे खिच के चपेड़ा

माँ जिथे काली…

 रक्तबीज जद माया दिखाई

  क्रोध में आ गई कालका माई

इक कतरे तो लखां बन गए

देवी देव जाँदे घबराई

कीता धड़ो वख मोहरे आया जेड़ा

माँ जिथे काली…

 दया करो माँ भद्रकाली

  भगतों की तूँ ही रखवाली

 माँ काली का जो भी नौकर

 मार सके ना कोई ठोकर

लवली-दीपक माँ बन गया तेरा

आवे मोहरे फेर जम्म्या ऐ केड़ा

माँ जिथे काली…

जिथे काली पैर धरदी जान धरती नू पैंदीया तरेड़ां मां की अपार शक्ति और उनके रौद्र रूप की झलक प्रस्तुत करता है। यह भजन भक्तों को यह अनुभव कराता है कि मां काली अपने एक संकल्प से ही पूरे ब्रह्मांड को बदल सकती हैं। इसे सुनते ही मन में श्रद्धा के साथ-साथ एक दिव्य ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन को साहस और विश्वास से भर देता है।

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