लक्ष्मी जी की आरती हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन में एक विशेष स्थान रखती है। यह आरती माँ लक्ष्मी की महिमा का गुणगान करती है, जो धन, वैभव और समृद्धि की देवी हैं। हर शुक्रवार या दिवाली जैसे शुभ अवसरों पर लोग लक्ष्मी जी की आराधना करते हैं और आरती गाकर अपने घरों में सुख-शांति और धन-धान्य का आह्वान करते हैं। आरती के बोल सरल और मनमोहक होते हैं, जो भक्तों के दिलों में श्रद्धा और भक्ति का संचार करते हैं।
आरती लिरिक्स
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ,
ॐ जय लक्ष्मी माता… ॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।
मैया तुम ही जग-माता…
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ,
ॐ जय लक्ष्मी माता… ॥
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।
मैया सुख संपत्ति दाता…
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ,
ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता…
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ,
ॐ जय लक्ष्मी माता… ॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।
मैया सब सद्गुण आता…
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता ,
ॐ जय लक्ष्मी माता… ॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।
मैया वस्त्र न कोई पाता…
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता ,
ॐ जय लक्ष्मी माता… ॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता ।
मैया क्षीरोदधि-जाता…
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ,
ॐ जय लक्ष्मी माता… ॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता…
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ,
ॐ जय लक्ष्मी माता… ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ,
ॐ जय लक्ष्मी माता… ॥
लक्ष्मी जी की आरती का पाठ न केवल एक धार्मिक कृत्य है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने का माध्यम भी है। नियमित रूप से आरती गाने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है और माँ लक्ष्मी की कृपा सदा हम पर बनी रहती है। अगर आप भी अपने घर-परिवार में खुशहाली और समृद्धि चाहते हैं, तो लक्ष्मी जी की आरती को अपने पूजा-पाठ का हिस्सा जरूर बनाएं।