

खाटू श्याम जी का नाम लेते ही भक्तों के मन में श्रद्धा की लहर दौड़ जाती है। वे कलियुग के साक्षात भगवान माने जाते हैं, जो अपने भक्तों की पुकार तुरंत सुनते हैं। खाटू श्याम चालीसा एक ऐसी भक्ति रचना है जो श्याम बाबा की महिमा का वर्णन करती है और भक्तों को मनोवांछित फल प्राप्त करने में सहायक होती है। इस लेख में हम “Khatu Shyam Chalisa” के महत्व, पाठ विधि और इसके लाभों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

खाटू श्याम चालीसा
दोहा
श्री गुरु चरणन ध्यान धर, सुमीर सच्चिदानंद।
श्याम चालीसा बणत है, रच चौपाई छंद॥
चालीसा
श्याम-श्याम भजि बारंबारा।
सहज ही हो भवसागर पारा॥
इन सम देव न दूजा कोई।
दिन दयालु न दाता होई॥
भीम सुपुत्र अहिलावाती जाया।
कही भीम का पौत्र कहलाया॥
यह सब कथा कही कल्पांतर।
तनिक न मानो इसमें अंतर॥
बर्बरीक विष्णु अवतारा।
भक्तन हेतु मनुज तन धारा॥
बासुदेव देवकी प्यारे।
जसुमति मैया नंद दुलारे॥
मधुसूदन गोपाल मुरारी।
वृजकिशोर गोवर्धन धारी॥
सियाराम श्री हरि गोबिंदा।
दिनपाल श्री बाल मुकुंदा॥
दामोदर रण छोड़ बिहारी।
नाथ द्वारिकाधीश खरारी॥
राधाबल्लभ रुक्मणि कंता।
गोपी बल्लभ कंस हनंता॥
मनमोहन चित चोर कहाए।
माखन चोरि-चारि कर खाए॥
मुरलीधर यदुपति घनश्यामा।
कृष्ण पतित पावन अभिरामा॥
मायापति लक्ष्मीपति ईशा।
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा॥
विश्वपति जय भुवन पसारा।
दीनबंधु भक्तन रखवारा॥
प्रभु का भेद न कोई पाया।
शेष महेश थके मुनिराया॥
नारद शारद ऋषि योगिंदरर।
श्याम-श्याम सब रटत निरंतर॥
कवि कोदी करी कनन गिनंता।
नाम अपार अथाह अनंता॥
हर सृष्टी हर सुग में भाई।
ये अवतार भक्त सुखदाई॥
ह्रदय माहि करि देखु विचारा।
श्याम भजे तो हो निस्तारा॥
कौर पढ़ावत गणिका तारी।
भीलनी की भक्ति बलिहारी॥
सती अहिल्या गौतम नारी।
भई श्रापवश शिला दुलारी॥
श्याम चरण रज चित लाई।
पहुंची पति लोक में जाही॥
अजामिल अरु सदन कसाई।
नाम प्रताप परम गति पाई॥
जाके श्याम नाम अधारा।
सुख लहहि दुःख दूर हो सारा॥
श्याम सलोवन है अति सुंदर।
मोर मुकुट सिर तन पीतांबर॥
गले बैजंती माल सुहाई।
छवि अनूप भक्तन मान भाई॥
श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती।
श्याम दुपहरि कर परभाती॥
श्याम सारथी जिस रथ के।
रोड़े दूर होए उस पथ के॥
श्याम भक्त न कही पर हारा।
भीर परि तब श्याम पुकारा॥
रसना श्याम नाम रस पी ले।
जी ले श्याम नाम के ही ले॥
संसारी सुख भोग मिलेगा।
अंत श्याम सुख योग मिलेगा॥
श्याम प्रभु हैं तन के काले।
मन के गोरे भोले-भाले॥
श्याम संत भक्तन हितकारी।
रोग-दोष अध नाशे भारी॥
प्रेम सहित जब नाम पुकारा।
भक्त लगत श्याम को प्यारा॥
खाटू में हैं मथुरावासी।
पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी॥
सुधा तान भरि मुरली बजाई।
चहु दिशि जहां सुनी पाई॥
वृद्ध-बाल जेते नारि नर।
मुग्ध भये सुनि बंशी स्वर॥
हड़बड़ कर सब पहुंचे जाई।
खाटू में जहां श्याम कन्हाई॥
जिसने श्याम स्वरूप निहारा।
भव भय से पाया छुटकारा॥
दोहा
श्याम सलोने संवारे, बर्बरीक तनुधार।
इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार॥
खाटू श्याम चालीसा केवल एक भक्ति रचना नहीं, बल्कि बाबा श्याम के चरणों में समर्पित श्रद्धा का प्रतीक है। जो भी भक्त श्रद्धा और नियमपूर्वक इसका पाठ करता है, उसे बाबा की कृपा से जीवन में अपार सुख, शांति और सफलता प्राप्त होती है। यदि आपको यह चालीसा प्रिय लगी हो, तो आप “श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम”, “श्याम मूरत दिल में बसा ली”, “खाटू वाले का दरबार निराला है”, और “श्याम बाबा का भजन सुनाते चलो” जैसे अन्य भक्तिमय भजनों को भी अवश्य पढ़ें और बाबा की महिमा में लीन हो जाएं।
खाटू श्याम चालीसा पाठ की विधि
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- श्याम बाबा की तस्वीर या प्रतिमा के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- गुलाल, फूल और चूरमा का भोग अर्पित करें।
- लाल आसन पर बैठकर शांत मन से श्याम चालीसा का पाठ करें।
- पाठ के बाद “खाटू श्याम जी की जय” बोलकर प्रार्थना करें।
- गुरुवार अथवा एकादशी के दिन विशेष फलदायक माना जाता है।
खाटू श्याम चालीसा के लाभ
- मनोकामना पूर्ति – भक्त जो भी इच्छा लेकर चालीसा का पाठ करता है, उसे श्याम बाबा अवश्य पूरा करते हैं।
- मानसिक शांति – यह चालीसा मन को शांत और स्थिर करती है।
- रोग एवं कष्टों से मुक्ति – नियमित पाठ से मानसिक और शारीरिक कष्ट दूर होते हैं।
- आर्थिक समृद्धि – व्यापार या नौकरी में लाभ के लिए भी यह पाठ अत्यंत शुभ माना जाता है।
- परिवार में सुख-शांति – परिवार में चल रहे कलह या अशांति के निवारण हेतु चालीसा प्रभावशाली है।