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Kartikeya Ji Ki Aarti | कार्तिकेय जी की आरती

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कार्तिकेय जी की आरती हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखती है। भगवान कार्तिकेय, जिन्हें मुरुगन, स्कंद या सुब्रह्मण्य भी कहा जाता है, भगवान शिव और पार्वती के पुत्र हैं। वे युद्ध के देवता माने जाते हैं और उनकी पूजा विशेष रूप से उनके शौर्य, वीरता और धर्म के प्रति समर्पण को ध्यान में रखते हुए की जाती है। कार्तिकेय जी की आरती का पाठ न केवल भक्तों को मानसिक शांति और शक्ति प्रदान करता है, बल्कि उनके जीवन में हर प्रकार के संकट से उबरने के लिए आशीर्वाद भी लाता है। यह आरती भगवान कार्तिकेय की महिमा और उनकी शक्तियों का वर्णन करती है, जो हमारे अंदर आत्मविश्वास और साहस का संचार करती है।

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कार्तिकेय जी की आरती


जय जय आरती वेणु गोपाला..
वेणु गोपाला वेणु लोला,
पाप विदुरा नवनीत चोरा।

जय जय आरती वेंकटरमणा,
वेंकटरमणा संकटहरणा,
सीता राम राधे श्याम।

जय जय आरती गौरी मनोहर,
गौरी मनोहर भवानी शंकर,
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वर।

जय जय आरती राज राजेश्वरि,
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि,

महा सरस्वती महा लक्ष्मी,
महा काली महा लक्ष्मी।

जय जय आरती आन्जनेय,
आन्जनेय हनुमन्ता,

जय जय आरति दत्तात्रेय,
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार।

जय जय आरती सिद्धि विनायक,
सिद्धि विनायक श्री गणेश,

जय जय आरती सुब्रह्मण्य,
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।

कार्तिकेय जी की आरती का पाठ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक प्रेरणा का स्रोत भी है। जब जीवन में कठिनाइयाँ और संकट घेर लें, तो इस आरती का जाप हमें न केवल भौतिक बल्कि मानसिक शक्ति भी प्रदान करता है। भगवान कार्तिकेय की कृपा से हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं और हम हर मुश्किल को साहस और धैर्य के साथ पार कर सकते हैं। इस आरती का नियमित पाठ हमें भगवान के प्रति अपने श्रद्धा और विश्वास को मजबूत करता है। तो आइए, हम सब मिलकर भगवान कार्तिकेय से आशीर्वाद प्राप्त करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को और भी मंगलमय बनाएं।

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