कन्निका परमेश्वरी माता, शक्ति की महान स्वरूपा मानी जाती हैं, जिन्हें कन्याओं की रक्षक और परिवार की समृद्धि देने वाली देवी कहा गया है। इनकी उपासना विशेष रूप से दक्षिण भारत में की जाती है। कन्निका परमेश्वरी गायत्री मंत्र का जाप जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। यह लेख उसी मंत्र के महत्व, जाप की विधि और लाभों को समझाने के लिए लिखा गया है।
गायत्री मंत्र
ओं कन्याकुमारि च धीमहि धाराणीनीम् ।
धीमि योनि छ चोदयत्मन् च प्रचोदयत्मन् ,
धीमि नः प्रचोदययत्मन् च नःहि प्रचोदयत्मन् ।
कन्निका परमेश्वरी गायत्री मंत्र केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि माँ की शक्ति को अपने जीवन में उतारने का एक सशक्त माध्यम है। जो भक्त श्रद्धा से इस मंत्र का जाप करते हैं, वे माँ की कृपा से सुख, शांति और समृद्धि को अनुभव करते हैं। माँ कन्निका परमेश्वरी का आशीर्वाद सदैव आपके साथ बना रहे।
मंत्र जाप की विधि
- प्रातः काल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- देवी की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- माँ कन्निका परमेश्वरी का ध्यान करें।
- एक आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- रुद्राक्ष की माला से 108 बार इस मंत्र का जाप करें।
- मंत्र जाप के बाद देवी को प्रसाद अर्पण करें (जैसे नारियल, फल, पुष्प)।
- अंत में आरती करें और शांत मन से प्रार्थना करें।
मंत्र के लाभ
- परिवार की सुरक्षा और समृद्धि में वृद्धि होती है।
- कन्याओं को आत्मबल, सौंदर्य और विवाह के योग मिलते हैं।
- धन, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- नकारात्मक ऊर्जा और बुरी दृष्टि से रक्षा होती है।
- मानसिक शांति और आत्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है।