झारखंड के गुमला जिले की 27 वर्षीय रितिका तिर्की ने इतिहास रचते हुए वंदे भारत एक्सप्रेस की पहली आदिवासी महिला सहायक लोको पायलट बनने का गौरव हासिल किया है। जंगलों और पहाड़ियों के बीच पली-बढ़ी रितिका ने अपने कठिन परिश्रम और समर्पण से ना केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे आदिवासी समाज और देश की महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर उभरी हैं। उनका यह कदम महिलाओं के लिए नए अवसरों के द्वार खोलने वाला साबित हो सकता है।
रितिका की सफलता इस बात का प्रमाण है कि अगर सही दिशा में मेहनत और समर्पण हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती। वंदे भारत एक्सप्रेस, जिसे देश की सबसे तेज़ ट्रेन मानी जाती है, को सुरक्षित चलाने की जिम्मेदारी अब रितिका जैसे प्रतिभाशाली और निडर महिला के हाथों में है। रितिका का यह सफर केवल उनके व्यक्तिगत विकास की कहानी नहीं है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण और आदिवासी समाज के उत्थान की कहानी भी है।
रितिका तिर्की के इस ऐतिहासिक कदम ने उन्हें महिलाओं के लिए एक मिसाल बना दिया है। उनकी यह सफलता उन सभी लड़कियों और महिलाओं के लिए प्रेरणा है जो बड़े सपने देखने का साहस रखती हैं। आदिवासी समाज में अपनी पहचान बनाने और समाज की बेहतरी के लिए उनका योगदान सराहनीय है।
रितिका ने अपने संघर्ष से यह साबित कर दिया है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं और वह अपने साहस और धैर्य के साथ हर बाधा को पार कर सकती हैं।