
जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या ने तोरण द्वार का उद्घाटन कर किया लोकार्पण

वाराणासी जिले के विकास खंड आराजी लाइन के खेवली गांव धूमिल शोध संस्थान के तत्वाधान में आधुनिक हिन्दी कविता के प्रखर कवि और जनकवि के रूप में प्रसिद्ध धूमिल की जयंती पर रविवार को साहित्यप्रेमियों,युवाओं और स्थानीय बुद्धिजीवियों ने उनकी स्मृति को नमन करते हुये उनके पैतृक गांव खेवली में एक वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया।जहाँ काशी के साहित्यिक परिवेश में विशेष पहचान रखने वाले धूमिल के विचार,संघर्ष और उनके शब्दों की ताकत आज भी नई पीढ़ी को प्रेरित करते हैं। इसी कड़ी में आयोजन स्थल पर उनकी जयंती समारोह में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। इस मौके पर उपस्थित साहित्यप्रेमियों,स्थानीय बुद्धिजीवियों,प्रोफेसरो सहित अन्य गणमान्य लोगो का स्वागत उनके ज्येष्ठ पुत्र रत्न शंकर पांडेय द्वारा किया गया।
वही कार्यक्रम की शुरुआत धूमिल की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। वक्ताओं ने धूमिल की कविता ‘मोचीराम’और ‘संसद से सड़क तक’ को समाज में व्याप्त असमानताओं पर तीखी चोट बताया। उन्होंने कहा कि धूमिल की लेखनी ने हमेशा आमजन की पीड़ा, हाशिये पर खड़े व्यक्ति के संघर्ष और व्यवस्था की विसंगतियों को बेबाकी से सामने रखा। उनकी रचनाएँ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी उनके समय में थीं।
इसी अवसर पर कोरौती- देहली विनायक मार्ग के बीच बने नवनिर्मित तोरण द्वार का भी विधिवत उद्घाटन एवं तोरण द्वार के बगल बने मूर्ति का अनावरण जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्या द्वारा किया गया। जिला पंचायत की पहल पर तैयार किये गए इस तोरण द्वार को स्थानीय कारीगरों द्वारा पारंपरिक शिल्पकलाऔरआधुनिक डिज़ाइन के मिश्रण से सजाया गया है,
इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य ने कहा कि यह तोरण द्वार खेवली गांव की पहचान और गौरव का प्रतीक के साथ क्षेत्रीय बच्चों के लिए प्रेरणा का श्रोत बनेगा
कार्यक्रम में मंच संचालन करते हुये अरविंद सिंह ने धूमिल की कविताओं का पाठ किया और उनके जीवन संघर्षों पर आधारित चर्चा सत्र में भाग लिया।इस दौरान कुछ युवा कवियों को सम्मानित किया गया।
इस मौके पर प्रमुख रूप से डॉक्टर सदानंद सिंह प्रो.अवधेश राय, प्रो.हुबनाथ,रमन मिश्रा,
सुनील सिंह,वीरेंद्र पटेल,
सहित बड़ी संख्या में स्थानीयग्रामीण उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉक्टर प्रभाकर सिंह द्वारा किया गया तो वही धन्यवाद ज्ञापन रत्न शंकर पांडेय द्वारा किया गया।