“जय अम्बे गौरी” आरती माँ दुर्गा की स्तुति और आराधना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह आरती भक्तों के दिलों में भक्ति, श्रद्धा और आनंद का संचार करती है। माँ दुर्गा को समर्पित यह आरती उनके नौ रूपों की महिमा का गुणगान करती है। इसे गाते समय भक्त माँ से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और जीवन में सुख-शांति की कामना करते हैं। इस आरती के माध्यम से भक्त माँ दुर्गा के प्रति अपना प्रेम और समर्पण व्यक्त करते हैं। चाहे वह नवरात्रि का समय हो या कोई अन्य विशेष पूजा, “जय अम्बे गौरी” आरती हर अवसर पर वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देती है।
जय अम्बे गौरी आरती
जय अम्बे गौरी आरती,
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥
ॐ जय अम्बे गौरी…
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को,
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको।
ॐ जय अम्बे गौरी…
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।
ॐ जय अम्बे गौरी…
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी,
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी।
ॐ जय अम्बे गौरी…
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती,
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती।
ॐ जय अम्बे गौरी…
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती,
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।
ॐ जय अम्बे गौरी…
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे,
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।
ॐ जय अम्बे गौरी…
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी,
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।
ॐ जय अम्बे गौरी…
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों,
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।
ॐ जय अम्बे गौरी…
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,
भक्तन की दुख हरता , सुख संपति करता।
ॐ जय अम्बे गौरी…
भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी,
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।
ॐ जय अम्बे गौरी…
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती,
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती।
ॐ जय अम्बे गौरी…
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे,
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे।
ॐ जय अम्बे गौरी…
“जय अम्बे गौरी” आरती सिर्फ शब्दों का संगम नहीं है, यह माँ दुर्गा के चरणों में हमारे समर्पण और आभार की अभिव्यक्ति है। यह आरती हमें याद दिलाती है कि कठिन समय में माँ का आशीर्वाद हमारे साथ है। इस आरती को गाते हुए जो शांति और सकारात्मकता महसूस होती है, वह हमारे जीवन को नई दिशा देती है। माँ की महिमा गाते-गाते जब आरती समाप्त होती है, तो एक अद्भुत ऊर्जा और आंतरिक संतोष का अनुभव होता है। “जय अम्बे गौरी” आरती के साथ माँ की कृपा सदा हम पर बनी रहे और हमारा जीवन मंगलमय हो। जय माता दी!