
हनुमत बोले माता सुन लो यह पंक्ति भक्त के उस समर्पण की प्रतीक है, जब वह अपने आराध्य हनुमान जी से विनती करता है। माँ की करुणा और हनुमान जी की शक्ति का संगम भक्त के हृदय को गहराई से छूता है। इस पुकार में विश्वास भी है और आंसुओं से भरा अनुरोध भी।
Hanumat Bole Mata Sun Lo Sun Lo Ma Tum Meri Pukar
हनुमत बोले माता सुन लो
सुन लो माँ तुम मेरी पुकार 2
याद वो करते तुमको माता
यह दर्द प्रभु से ना सहा जाता
एक बार मैया कर दो इशारा प्रभु करते ये इंतजार
हनुमत बोले माता सुन लो सुन लो माँ तुम मेरी पुकार
एक दहाड़ में जोर से मारूं
रावण की बगिया को उजाडु
कर दूं ऐसा हाल में इनका पड़े जाके काल के द्वार
हनुमत बोले माता सुन लो सुन लो माँ तुम मेरी पुकार
रावण का अभियान में तोडूंगा
लंका को मैं राख कर छोडूंगा
कर दूंगा मैं हाल ये इनका मचेगा इनमें हा – हा कार
हनुमत बोले माता सुन लो सुन लो माँ तुम मेरी पुकार
राम नाम की शक्ति है ये
राम नाम की भक्ति है
लिख रहा हूं जो कथा प्रभु की
बातें वो सारी सच्ची है
लकी बोले दृश्स दिखाओ मेरे प्यारे सरकार
जब भक्त गाता है – सुन लो माँ तुम मेरी पुकार तो यह केवल शब्द नहीं बल्कि आत्मा से निकली हुई विनती होती है। हनुमान जी की शरण में आने वाला कोई भी भक्त निराश नहीं लौटता, क्योंकि उनकी कृपा से हर समस्या का समाधान और हर कष्ट का अंत होता है। यही भक्ति की सच्ची अनुभूति है।

