“हनुमान चालीसा” हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध भजन है, जो भगवान हनुमान के अद्भुत शक्ति, साहस और भक्ति का वर्णन करता है। इसे तुलसीदास जी ने लिखा था, और यह भक्ति के प्रतीक रूप में पूरे भारत में हर दिन लाखों लोग श्रद्धा से पढ़ते हैं। हनुमान जी को संकटमोचन, सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति देने वाला और भक्तों के सारे दुख दूर करने वाला माना जाता है। हनुमान चालीसा के 40 श्लोकों में भगवान हनुमान की महिमा का गान किया गया है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति का स्रोत भी है। आज हम आपको हनुमान चालीसा के शुद्ध और सरल हिंदी में शब्दों के साथ प्रस्तुत करेंगे, ताकि आप भी इस दिव्य मंत्र से लाभ उठा सकें।
हनुमान चालीसा लिरिक्स
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर ।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा॥
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै॥
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन॥
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते.
कबि कोबिद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै.
तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिसाच निकट नहिं आवै.
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै॥
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै॥
अन्तकाल रघुबर पुर जाई.
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई॥
और देवता चित्त न धरई.
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥
जै जै जै हनुमान गोसाईं ।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई.
छूटहि बंदि महा सुख होई॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥
हनुमान चालीसा न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ाने का एक मार्ग है, बल्कि यह हमारे जीवन में सकारात्मकता और साहस का संचार भी करता है। इसके श्लोकों में जो शक्ति और भक्ति की भावना छिपी हुई है, वह हमें कठिन समय में सहारा देती है और जीवन को सही दिशा में ले जाती है। हम सभी को अपनी आस्थाओं के साथ इस पवित्र मंत्र का जप करना चाहिए, ताकि हर संकट से उबर सकें और भगवान हनुमान की कृपा से हमारे जीवन में सुख और समृद्धि का वास हो। हनुमान चालीसा का जाप हमें मानसिक शांति और आत्मबल प्रदान करता है, जिससे हम हर परिस्थिति का सामना कर सकें।