हनुमान जी के प्रति भक्ति का सर्वोत्तम रूप “हनुमान अष्टकश्लोकी” है। यह आठ श्लोकों का संग्रह है, जो हनुमान जी की महिमा और उनके अद्वितीय गुणों का वर्णन करते हैं। “हनुमान अष्टकश्लोकी” का पाठ न केवल मानसिक शांति लाता है, बल्कि यह भगवान हनुमान के आशीर्वाद से जीवन में शक्ति, साहस और समृद्धि भी प्राप्त करता है। इस लेख में हम हनुमान अष्टकश्लोकी के महत्व, विधि और लाभ के बारे में विस्तार से जानेंगे।
हनुमान अष्टक
बाल समय रवि भक्षी लियो तब। तीनहुं लोक भयो अंधियारों ,
ताहि सों त्रास भयो जग को। यह संकट काहु सों जात न टारो ॥
देवन आनि करी बिनती तब। छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो,
को नहीं जानत है जग में कपि। संकटमोचन नाम तिहारो ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि। जात महाप्रभु पंथ निहारो ॥
चौंकि महामुनि साप दियो तब। चाहिए कौन बिचार बिचारो ,
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु। सो तुम दास के सोक निवारो॥
अंगद के संग लेन गए सिय। खोज कपीस यह बैन उचारो॥
जीवत ना बचिहौ हम सो जु। बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो,
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब। लाए सिया-सुधि प्राण उबारो॥
रावण त्रास दई सिय को सब। राक्षसी सों कही सोक निवारो॥
ताहि समय हनुमान महाप्रभु। जाए महा रजनीचर मारो,
चाहत सीय असोक सों आगि सु। दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो॥
बान लग्यो उर लछिमन के तब। प्राण तजे सुत रावन मारो॥
लै गृह बैद्य सुषेन समेत। तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो,
आनि सजीवन हाथ दई तब। लछिमन के तुम प्रान उबारो॥
रावन युद्ध अजान कियो तब। नाग कि फाँस सबै सिर डारो॥
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल। मोह भयो यह संकट भारो ,
आनि खगेस तबै हनुमान जु। बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥
बंधु समेत जबै अहिरावन। लै रघुनाथ पताल सिधारो॥
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि। देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो,
जाय सहाय भयो तब ही। अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥
काज किये बड़ देवन के तुम। बीर महाप्रभु देखि बिचारो॥
कौन सो संकट मोर गरीब को। जो तुमसे नहिं जात है टारो ,
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु। जो कछु संकट होय हमारो ॥
दोहा
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर
हनुमान अष्टकश्लोकी का पाठ न केवल हनुमान जी के आशीर्वाद से जीवन को सुखमय बनाता है, बल्कि यह मानसिक मजबूती और आत्मविश्वास भी प्रदान करता है। यदि आप हनुमान जी की भक्ति में और गहरे उतरना चाहते हैं, तो हनुमान चालीसा, हनुमान स्तोत्र, हनुमान जी के मंत्र जैसे लेख भी पढ़ सकते हैं। हनुमान जी का आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहे। जय हनुमान!
पाठ विधि
स्वच्छता: हनुमान अष्टकश्लोकी का पाठ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।- हनुमान जी की पूजा: हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएँ और पुष्प अर्पित करें।
- शांत मन से पाठ करें: अष्टकश्लोकी के प्रत्येक श्लोक को ध्यानपूर्वक और मन से उच्चारण करें।
- ध्यान और श्रद्धा: पाठ करते समय भगवान हनुमान के गुणों का ध्यान करें और उनके प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करें।
- समाप्ति: पाठ के बाद भगवान हनुमान का धन्यवाद करें और उनके आशीर्वाद से जीवन को सफल और सुखी बनाने की प्रार्थना करें।
हनुमान अष्टकश्लोकी के पाठ के लाभ
संकटों से मुक्ति:
हनुमान अष्टकश्लोकी का पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाएँ और संकट दूर होते हैं। हनुमान जी की कृपा से जीवन में आ रही समस्याएँ हल होती हैं।- शक्ति और साहस:
यह पाठ व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शक्ति प्रदान करता है। हनुमान जी का आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति में साहस और आत्मविश्वास बढ़ता है। - मानसिक शांति:
हनुमान अष्टकश्लोकी का जप करने से मानसिक शांति और संतुलन मिलता है। यह व्यक्ति को शांत और स्थिर बनाए रखता है। - बुरी शक्तियों से सुरक्षा:
यह पाठ बुरी शक्तियों और नकारात्मकता से बचाता है। हनुमान जी की शक्ति से व्यक्ति की सुरक्षा होती है। - विजय और सफलता:
हनुमान अष्टकश्लोकी का पाठ व्यक्ति को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विजय और सफलता दिलाता है।