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बनारसी साड़ियों का बढ़ता व्यापार: देश और विदेश में बढ़ी मांग

बनारसी साड़ियों का बढ़ता व्यापार: देश और विदेश में बढ़ी मांग

बनारसी साड़ी न केवल भारत की सांस्कृतिक पहचान है, बल्कि यह दुनिया भर में अपनी खासियत और खूबसूरती के लिए मशहूर है। बनारस के बुनकरों का हुनर आज भी दुनिया में सबसे आगे है। हालांकि, बनारसी साड़ी का नकल कर देशभर में कारोबार करने वाले क्षेत्रों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। विशेष रूप से सूरत ने बनारसी साड़ी की नक़ल कर एक बड़ा बाजार खड़ा कर लिया है। लेकिन बुनकरों का मानना है कि सूरत की साड़ियां बनारस के पारंपरिक रंगों और डिजाइनों की गहराई को छू नहीं पाती हैं। यही वह पहचान है, जो बनारस की साड़ियों को वैश्विक स्तर पर सबसे अलग और विशिष्ट बनाती है।

तकनीकी विकास की जरूरत

बुनकरों का कहना है कि बनारस का साड़ी उद्योग तकनीक के मामले में पूरी तरह से दक्ष नहीं है। अगर सरकार इस दिशा में सुविधाएं उपलब्ध कराए, तो यह उद्योग और भी ऊंचाइयों पर पहुंच सकता है। एक बुनकर, नसीम ने बताया कि तकनीकी विकास से उत्पादन में तेजी आएगी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग को पूरा करना आसान होगा। इसके बावजूद, बनारसी साड़ी का उद्योग लगातार प्रगति कर रहा है। पिछले कुछ वर्षों में इस उद्योग से जुड़ी फर्मों की संख्या में वृद्धि देखी गई है।

जीएसटी के आंकड़ों में बनारसी साड़ी का योगदान

जीएसटी के आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में बनारसी साड़ी का कारोबार 597 करोड़ 15 लाख 96 हजार रुपये का रहा। यह आंकड़ा पिछले वर्ष के 466 करोड़ 13 लाख 48 हजार रुपये से काफी अधिक है। इस दौरान फर्मों की संख्या भी 761 से बढ़कर 965 तक पहुंच गई। जिले में जीएसटी के 21 खंडों में से खंड तीन का योगदान सबसे अधिक रहा। हालांकि, साड़ी उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़े केवल कागजों तक सीमित हैं। वास्तविकता में, बनारसी साड़ी का कारोबार और भी ऊंचा है।

वैश्विक मंच पर बनारसी साड़ी की पहचान

बनारसी साड़ियों की वैश्विक मांग का एक प्रमुख उदाहरण पेरिस ओलंपिक में देखा गया, जहां रामनगर के मच्छरहट्टा निवासी निलेश मौर्य ने बनारसी साड़ी का स्टॉल लगाया। रिलायंस समूह के आयोजन में इस पारंपरिक कला को दुनियाभर के दर्शकों ने खूब सराहा। यह साड़ी उद्योग के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी। निलेश मौर्य ने न केवल नीता अंबानी बल्कि उनकी बहू राधिका अंबानी के लिए भी विशेष बनारसी साड़ियां तैयार की हैं। इससे स्पष्ट होता है कि यह साड़ी न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी अलग पहचान बनाए हुए है।

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