
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को, प्रतिवर्ष की परंपरा के अनुसार, इस वर्ष भी श्री काशी विश्वनाथ धाम में अन्नकूट पर्व का अत्यंत भव्य और श्रद्धामय आयोजन संपन्न हुआ। भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत की पूजा की स्मृति में मनाया जाने वाला यह पावन पर्व अन्न की समृद्धि, अन्न सुरक्षा और कृतज्ञता की भावना का प्रतीक है। “अन्नकूट” पर्व प्रकृति और ईश्वर के प्रति आभार प्रकट करने की परंपरा का प्रतीक माना जाता है।
21 क्विंटल मिष्ठानों से हुआ श्री विश्वेश्वर का श्रृंगार
इस पावन अवसर पर भगवान श्री विश्वेश्वर महादेव का श्रृंगार 21 क्विंटल विविध प्रकार के मिष्ठानों से किया गया। ये मिष्ठान धाम से जुड़े विभिन्न प्रतिष्ठानों से प्राप्त हुए। श्रृंगार में छेना, बूंदी लड्डू, काजू बर्फी, मेवा लड्डू और अन्य पारंपरिक मिठाइयों का प्रमुख रूप से उपयोग किया गया। पूरे धाम परिसर को पुष्पों, दीपों और सुगंधित धूप से सजाया गया, जिससे पूरा वातावरण भक्ति और उल्लास से भर गया।
पंचबदन रजत चल-प्रतिमा की शोभायात्रा
अन्नकूट पर्व के शुभ अवसर पर भगवान श्री विश्वनाथ, माता गौरी और गणेश जी की पंचबदन रजत चल-प्रतिमा की भव्य शोभायात्रा टेढ़ीनीम स्थित महंत परिवार के आवास से प्रारंभ हुई। शहनाई और डमरू की मंगल ध्वनि के साथ “हर-हर महादेव” के जयघोष से गूंजते माहौल में प्रतिमा गर्भगृह में उत्सवपूर्वक विराजमान हुई। इसके बाद गर्भगृह में श्री विश्वनाथ जी की मध्याह्न भोग आरती विधिविधानपूर्वक संपन्न की गई, जिसमें भगवान को विविध प्रकार के भोग अर्पित किए गए।
श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरण और जलाभिषेक
भोग आरती के उपरांत श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया, जो अन्नकूट पर्व की विशेष परंपरा का अभिन्न अंग है। श्रद्धालुओं ने भावपूर्वक प्रसाद ग्रहण किया और भगवान विश्वनाथ से समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना की।
संध्या 6 बजे पंचबदन रजत चल-प्रतिमा को गर्भगृह से पुनः महंत आवास भिजवाया गया, जिसके बाद श्री विश्वेश्वर का जलाभिषेक किया गया और भक्तों के लिए दर्शन पुनः सुचारू रूप से प्रारंभ किए गए।
॥ श्री काशीविश्वनाथो विजयतेतराम ॥