उत्तर प्रदेश सरकार ने छात्राओं को बोर्ड परीक्षाओं में स्वकेंद्र की सुविधा देने की संभावना पर विचार करना शुरू कर दिया है। माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने सदन में इस बात का आश्वासन दिया है। यह कदम छात्राओं को परीक्षा केंद्र तक लंबी दूरी तय करने की समस्या से राहत दिलाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
सदन में उठी परीक्षा केंद्र निर्धारण की समस्याएं
माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने विधान परिषद में यह आश्वासन दिया कि बोर्ड परीक्षा के लिए अधिकतम केंद्र बनाने और स्वकेंद्र परीक्षा व्यवस्था लागू करने पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी। यह बयान नियम 105 के तहत एमएलसी डॉ. आकाश अग्रवाल और राजबहादुर चंदेल द्वारा उठाए गए सवाल के जवाब में दिया गया।
छात्राओं को परीक्षा केंद्र तक जाने में हो रही दिक्कतें
डॉ. आकाश अग्रवाल ने सदन में बताया कि जिन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जाता है, वहां की छात्राओं के लिए स्वकेंद्र व्यवस्था उपलब्ध होती है। लेकिन, जिन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाता, वहां की छात्राओं को 7 किलोमीटर तक दूर परीक्षा देने जाना पड़ता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि मानक पूरा करने वाले हर वित्तविहीन विद्यालय को परीक्षा केंद्र के रूप में शामिल किया जाए।
परीक्षा केंद्र निर्धारण में गड़बड़ी के आरोप
डॉ. अग्रवाल ने आरोप लगाया कि परीक्षा केंद्र निर्धारण में अधिकारियों की मनमानी और गड़बड़ी होती है। उन्होंने सुझाव दिया कि इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए तहसील और ब्लॉक स्तर के प्रधानाचार्यों और अधिकारियों को शामिल किया जाए। यह कदम परीक्षा केंद्र निर्धारण में निष्पक्षता सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
नेता प्रतिपक्ष की आपत्तियां
नेता प्रतिपक्ष लालबिहारी यादव ने परीक्षा केंद्र निर्धारण में अनियमितताओं का मुद्दा उठाते हुए कहा कि आजमगढ़ के एक विद्यालय को 165 अंक मिलने के बावजूद परीक्षा केंद्र नहीं बनाया गया, जबकि 90 अंक वाले विद्यालय को केंद्र बना दिया गया। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि छात्राओं के लिए परीक्षा केंद्र तीन से चार किलोमीटर की दूरी के भीतर होने चाहिए।
स्वकेंद्र व्यवस्था से छात्राओं को मिलेगा लाभ
अगर सरकार स्वकेंद्र परीक्षा व्यवस्था लागू करती है, तो इसका सीधा लाभ छात्राओं को मिलेगा। उन्हें लंबी दूरी तय करने से राहत मिलेगी और उनका समय और ऊर्जा दोनों बचेंगे।