


वाराणसी। ‘गौरा के हरदी लगावा, गोरी के सुंदर बनावा…’ जैसे मंगल गीतों से शुक्रवार को टेढ़ीनीम स्थित पूर्व महंत आवास गुंजायमान हो उठा। अवसर था गौरा के गौने की लोकपरंपरा के तहत हल्दी रस्म का, जिसे इस बार जूना अखाड़ा के नागा साधुओं ने निभाया।

नीलांचल के कामाख्या शक्तिपीठ से विशेष रूप से लाई गई हल्दी को लेकर नागा बाबा सावन भारती, पूरन भारती, पितांबर भारती और रवींद्र भारती के नेतृत्व में साधु-संतों का दल हनुमान घाट स्थित जूना अखाड़ा से शोभायात्रा के रूप में निकला। डमरूओं के निनाद, शंखों की गूंज और “हर हर महादेव” के जयघोष के साथ यह यात्रा महंत आवास पहुंची। वे एक थाल में हल्दी, 11 थाल में फल, पांच थाल में मेवा-मिठाई, एक थाल में वस्त्र और आभूषण लेकर आए।
महंत परिवार के वरिष्ठ सदस्यों ने साधु-संतों का स्वागत पुष्प वर्षा, माल्यार्पण और रुद्राक्ष माला व अंगवस्त्र देकर किया। इसके बाद साधु-संतों ने हल्दी अर्पित की और फिर महिलाओं ने हल्दी की रस्म पूरी की। मंगल गीतों की गूंज के बीच गौरा को हल्दी लगाई गई। ढोलक और मंजीरे की थाप पर ‘गौरा के हरदी लगावा देहिया सुंदर बनावा सखी…’ जैसे पारंपरिक गीत गाए गए, जिनमें गौरा के सौंदर्य और शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना की गई।
हल्दी के बाद महिलाओं ने भगवान शिव की रजत मूर्ति की नजर उतारते हुए ‘साठी क चाऊर चूमिय चूमिय..’ गीत गाया। बाबा की तेल-हल्दी की रस्म दिवंगत पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी की पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में पूरी हुई, जबकि पूजन अर्चन का विधान उनके पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने किया। इसके बाद बाबा को विशेष राजसी श्रृंगार में सजाया गया और बनारसी ठंडई, पान व पंचमेवा का भोग लगाया गया। इस आयोजन में श्री काशी विश्वनाथ डमरूदल सेवा समिति के पागल बाबा और मोनु बाबा के नेतृत्व में डमरूवादन हुआ, जिससे पूरा माहौल भक्तिमय बन गया।