गणपति गायत्री मंत्र : बुद्धि, शक्ति और सफलता की कुंजी

गणपति गायत्री मंत्र
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भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धिदाता और मंगलकर्ता कहा जाता है। उनकी उपासना जीवन में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करती है और व्यक्ति को ज्ञान, विवेक एवं समृद्धि प्रदान करती है। Ganpati Gayatri Mantra और Gayatri Chalisa का जाप भक्तों को अद्भुत मानसिक शांति और आत्मिक शक्ति देता है। इस लेख में हम इन मंत्रों की महिमा, जाप विधि और लाभ के विषय में विस्तार से जानकारी देंगे।

गायत्री मंत्र


एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,

तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,

तन्नो दंती प्रचोदयात्।।

गणपति गायत्री मंत्र और गायत्री चालीसा का नियमित पाठ जीवन को समृद्ध, शांतिपूर्ण और सफल बनाता है। भगवान गणेश की कृपा से जीवन में आने वाले सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपके जीवन में सद्बुद्धि, सुख और विजय सदैव बनी रहे, तो इन मंत्रों का श्रद्धा और नियमपूर्वक जाप करें। आप चाहें तो साथ ही अन्य भक्तिभाव से भरे भजन जैसे गणेश अष्टोत्तर शतनामावली, श्री सिद्धिविनायक वंदना, गणेश द्वादश नाम स्तोत्र और गणेश मंगलाष्टक भी पढ़ सकते हैं।

जाप की विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  • पूजा स्थान को साफ करें और गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  • सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करें।
  • एक आसन पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • पहले 108 बार गणपति गायत्री मंत्र का जाप करें।
  • फिर श्रद्धा और भक्ति के साथ गायत्री चालीसा का पाठ करें।
  • जाप के बाद प्रसाद अर्पित करें और शांति मंत्र पढ़ें।
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लाभ

  1. बुद्धि और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
  2. कार्य में सफलता और विघ्नों का नाश होता है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
  4. नकारात्मक ऊर्जा और भय का नाश होता है।
  5. पारिवारिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है।