गणेश स्तुति मंत्र भगवान गणेश को प्रसन्न करने और जीवन में शुभता, सफलता, व ज्ञान प्राप्ति के लिए अचूक माध्यम है। गणपति बप्पा को विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता कहा जाता है। जब हम इन मंत्रों का श्रद्धापूर्वक उच्चारण करते हैं, तो न केवल हमारे जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं, बल्कि हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
गणेश स्तुति मंत्रों की महिमा का उल्लेख हमारे वेद-पुराणों में मिलता है। ये मंत्र हर किसी के जीवन में नई शुरुआत, आत्मविश्वास, और स्थिरता प्रदान करने का मार्गदर्शन करते हैं। चाहे परीक्षा में सफलता की कामना हो, नया व्यापार शुरू करना हो, या जीवन में मानसिक शांति की तलाश—गणेश मंत्र हर परिस्थिति में सहायक होते हैं।
गणेश स्तुति मंत्र
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय
लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय ॥
नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय
गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते ॥
भक्तार्तिनाशनपराय गनेशाश्वराय
सर्वेश्वराय शुभदाय सुरेश्वराय ॥
विद्याधराय विकटाय च वामनाय
भक्त प्रसन्नवरदाय नमो नमस्ते ॥
नमस्ते ब्रह्मरूपाय विष्णुरूपाय ते नम:
नमस्ते रुद्राय्रुपाय करिरुपाय ते नम: ॥
विश्वरूपस्वरूपाय नमस्ते ब्रह्मचारणे
भक्तप्रियाय देवाय नमस्तुभ्यं विनायक ॥
लम्बोदर नमस्तुभ्यं सततं मोदकप्रिय
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
त्वां विघ्नशत्रुदलनेति च सुन्दरेति
भक्तप्रियेति सुखदेति फलप्रदेति ॥
विद्याप्रत्यघहरेति च ये स्तुवन्ति
तेभ्यो गणेश वरदो भव नित्यमेव ॥
गणेशपूजने कर्म यन्न्यूनमधिकं कृतम
तेन सर्वेण सर्वात्मा प्रसन्नोSस्तु सदा मम ॥
गणेश स्तुति मंत्र न केवल हमारी समस्याओं का समाधान करते हैं, बल्कि हमें भगवान गणेश के दिव्य आशीर्वाद का अनुभव भी कराते हैं। इन मंत्रों के नियमित जाप से हमारी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और हम अपने जीवन को सुखद और संतुलित बना पाते हैं।
आइए, हम सभी यह प्रण लें कि अपने हर कार्य का आरंभ भगवान गणेश के स्मरण और उनके मंत्रों से करेंगे। उनका आशीर्वाद हमारे जीवन को नई दिशा और सकारात्मकता से भर दे।