गणेश जी, जिन्हें विघ्नहर्ता और बुद्धि, समृद्धि और शुभता के देवता के रूप में पूजा जाता है, उनकी आराधना हर शुभ कार्य की शुरुआत में की जाती है। गणेश जी की आरती, उनकी कृपा और आशीर्वाद पाने का एक विशेष माध्यम है। जब भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ गणेश जी की आरती गाते हैं, तो यह न केवल मन को शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मकता और सफलता का मार्ग भी प्रशस्त करता है। आरती के इन पवित्र शब्दों में एक दिव्य शक्ति है, जो गणपति बप्पा के प्रति हमारी भक्ति को व्यक्त करने का सरल और सुंदर तरीका है।
गणेश जी की आरती लिरिक्स
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
गणेश जी की आरती के शब्दों में छुपी भक्ति और भावना, हर भक्त के मन में श्रद्धा का दीप जलाती है। इसे गाने से मन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार होता है। यदि आप भी जीवन में विघ्नों को दूर कर खुशहाली और सफलता का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो गणेश जी की आरती को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। श्रद्धा और प्रेम के साथ बप्पा की आरती गाएं, और उनका आशीर्वाद अपने जीवन को सुखद और सफल बनाने में लगाएं। गणपति बप्पा मोरया!