वाराणसी| सोनभद्र पुलिस ने ड्रग माफिया नेटवर्क पर अब तक की सबसे प्रभावी और निर्णायक कार्रवाई करते हुए कफ सीरप तस्करी के मास्टरमाइंड भोला प्रसाद जायसवाल को कोलकाता से गिरफ्तार कर ट्रांजिट रिमांड पर सोनभद्र ले आई। यह गिरफ्तारी पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा की अगुवाई में चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य ड्रग माफियाओं और कफ सीरप तस्करों की जड़ तक पहुंचना है। पुलिस सूत्रों के अनुसार आरोपी अपने पूरे परिवार के साथ थाइलैंड भागने की कोशिश में था, लेकिन पुलिस की सतर्कता और गुप्त सूचनाओं के आधार पर उसे कोलकाता में ही दबोच लिया गया।
कोलकाता से ट्रांजिट रिमांड पर लाया गया आरोपी
एसपी के निर्देश पर बनी संयुक्त टीम—सोनभद्र पुलिस, एसआईटी और एसओजी—ने आरोपी भोला प्रसाद जायसवाल, पुत्र रामदयाल, निवासी कायस्थ टोला, प्रहलाद घाट, आदमपुर, वाराणसी को कोलकाता में गिरफ्तार किया। पुलिस की जानकारी के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद ट्रांजिट रिमांड के लिए न्यायालय में प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद आरोपी को सुरक्षित होकर सोनभद्र लाया गया। बताया जा रहा है कि वह हवाई मार्ग से अपने परिवार सहित थाइलैंड भागने की योजना बना रहा था, ताकि पुलिस कार्रवाई से बच सके।

कफ सीरप बरामदगी की तीन बड़ी कार्रवाइयाँ
सोनभद्र पुलिस द्वारा पिछले महीनों में की गई छापेमारी और चेकिंग के दौरान भारी मात्रा में अवैध कफ सीरप बरामद हुआ, जिसने इस नेटवर्क की जड़ों को उजागर किया।
1. 18 अक्टूबर 2025 – सोनभद्र में रिकॉर्ड तोड़ बरामदगी
चेकिंग के दौरान दो कंटेनरों से कुल 1,19,675 शीशियाँ, जिसकी बाजार कीमत लगभग 3.50 करोड़ रुपये, जब्त की गईं। यह अपने आप में जिले की सबसे बड़ी बरामदगी में से एक थी।
2. 1 नवंबर 2025 – रांची में 13,400 शीशियों की बरामदगी
झारखंड के रांची में 134 पेटी में भरी 13,400 अवैध शीशियाँ पकड़ी गईं। यह नेटवर्क झारखंड, उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ था।
3. 3–4 नवंबर 2025 – सोनभद्र व गाज़ियाबाद की संयुक्त कार्रवाई
इस कार्रवाई में चार ट्रकों से 3.40 करोड़ रुपये मूल्य की कफ सीरप, साथ ही 20 लाख रुपये नकद, बरामद किए गए। नकदी फंडिंग नेटवर्क को दर्शाती है, जो इस गिरोह के वित्तीय ढांचे की मजबूती को दर्शाती है।
ये तीन कार्रवाइयाँ बताती हैं कि नेटवर्क कितना बड़ा था और कैसे राज्यों के बीच मिलकर करोड़ों की तस्करी चलाई जा रही थी।
नकली बिलिंग और फर्जी फर्मों का बड़ा जाल
जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि भोला प्रसाद जायसवाल मेसर्स शैली ट्रेडर्स, रांची के नाम से बड़े पैमाने पर फर्जी बिलिंग कर रहा था। इस फर्जी बिलिंग के जरिए अवैध कफ सीरप विभिन्न जनपदों में भेजा जाता था।
एसआईटी की जांच में भदोही, चंदौली, वाराणसी और सोनभद्र में लगभग 25 करोड़ रुपये के फर्जी लेन-देन का खुलासा हुआ, जिनमें से अधिकतर फर्में वास्तविकता में अस्तित्व में ही नहीं थीं। पुलिस ने ऐसे सभी संदिग्ध खातों को फ्रीज करा दिया है, जिससे तस्करों की फंडिंग पर बड़ा प्रहार हुआ है।
NDPS एक्ट के तहत गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज
29 नवंबर 2025 को ड्रग इंस्पेक्टर राजेश मौर्य ने थाना रॉबर्ट्सगंज पर मुकदमा संख्या 1191/2025 दर्ज कराया, जिसमें IPC की धाराएँ 318(4), 338, 336(3), 340(2), 61(2)(A) और NDPS एक्ट की अत्यंत गंभीर धाराएँ 27(A) और 29 शामिल हैं।
मुकदमे में उल्लेख है कि ग्राम बरकरा की फर्जी फर्म—माँ कृपा मेडिकल और मेसर्स शिवक्षा प्राइवेट लिमिटेड—ने 1 अप्रैल 2024 से 23 अगस्त 2025 तक 7,53,000 शीशियाँ Phensedyl Syrup काले बाजार में बेचीं। यह अपने आप में करोड़ों रुपये का धंधा था।
पूछताछ में बड़े खुलासे — सब कुछ करता था बेटा शुभम जायसवाल
गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में भोला प्रसाद ने बताया कि भले ही फर्में उसके नाम से पंजीकृत थीं, लेकिन पूरा संचालन उसका बेटा शुभम जायसवाल करता था, जिसे पुलिस पहले से ही ड्रग नेटवर्क का महत्वपूर्ण सदस्य मान रही थी।
भोला ने आगे बताया कि—
- फर्जी बिलिंग और वित्तीय लेन-देन शुभम की निगरानी में होते थे।
- पूरा व्यापार झारखंड स्थित गोदाम से संचालित होता था।
- वित्तीय दस्तावेज़ों और लेन-देन का जिम्मा उनके चार्टर्ड अकाउंटेंट विष्णु अग्रवाल के पास था।
पुलिस SIT अब विष्णु अग्रवाल से अलग से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है, ताकि अकाउंटिंग और फंडिंग नेटवर्क को पूरी तरह उजागर किया जा सके। संभव है कि इससे कई और फर्जी फर्मों और तस्करों के नाम सामने आएं।
कस्टडी रिमांड पर आगे बढ़ेगी बड़ी कार्रवाई
SIT आरोपी भोला प्रसाद जायसवाल को उचित अवधि की कस्टडी रिमांड पर लेने की तैयारी में है, ताकि उससे नेटवर्क में शामिल अन्य लोगों, गोदामों, और फंडिंग स्रोतों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सके।
सूत्रों के अनुसार कई अन्य जनपदों की पुलिस भी इस नेटवर्क से जुड़े मामलों में आरोपी से पूछताछ करने की तैयारी में है, क्योंकि यह गिरोह कम-से-कम चार राज्यों में सक्रिय था—उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल।
सोनभद्र पुलिस की कार्रवाई से बड़ा ड्रग नेटवर्क धराशायी
इस पूरे अभियान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि कफ सीरप तस्करी का यह नेटवर्क कितना विशाल था और किस तरह से माफिया राज्य-दर-राज्य अपनी जड़ें फैलाए हुए थे। सोनभद्र पुलिस की यह सफलता—
- अवैध ड्रग तस्करी नेटवर्क को बड़ा झटका है,
- काले धन के प्रवाह पर रोक,
- और माफिया तंत्र के वित्तीय ढांचे को कमजोर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा ने स्पष्ट किया है कि इस अभियान का उद्देश्य सिर्फ गिरफ्तारियाँ नहीं, बल्कि पूरे ड्रग नेटवर्क को जड़ से खत्म करना है। आने वाले दिनों में और भी बड़ी कार्रवाई होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
