कमाक्षी गायत्री मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और दुर्लभ स्तोत्र है जो देवी कमाक्षी को समर्पित है। देवी कमाक्षी त्रिपुरा सुंदरी स्वरूपिणी हैं, जो सौंदर्य, ज्ञान और सिद्धि की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। यह मंत्र न केवल साधक को मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन के विविध क्षेत्रों में सफलता और समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करता है। इस लेख में हम जानेंगे कि कमाक्षी गायत्री मंत्र कैसे जपें, इसके लाभ क्या हैं, और यह साधना क्यों विशेष मानी जाती है।
गायत्री मंत्र
ॐ कमाक्ष्यै च विद्महे
क्लीं कराल्यै धीमहि
तन्नो देवी प्रचोदयात्॥
कमाक्षी गायत्री मंत्र न केवल आध्यात्मिक साधना का अमूल्य रत्न है, बल्कि यह जीवन में स्थिरता, सफलता और सुख की कुंजी भी है। जो साधक निष्ठा से इस मंत्र का जप करते हैं, उन्हें देवी कमाक्षी की कृपा सहज ही प्राप्त होती है। यदि आपको यह लेख उपयोगी लगा हो, तो आप ललिता त्रिपुरासुंदरी गायत्री मंत्र, बगलामुखी गायत्री मंत्र, दुर्गा गायत्री मंत्र, और महाकाली गायत्री मंत्र जैसे अन्य शक्तिशाली मंत्रों को भी जरूर padhe और अपने जीवन में दिव्यता का अनुभव करें।
विधि
- प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके शुद्ध होकर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- अपने सामने देवी कमाक्षी की प्रतिमा या चित्र रखें और दीपक जलाएं।
- 108 बार रुद्राक्ष या चंदन की माला से मंत्र का जप करें।
- जप के दौरान पूरी श्रद्धा और भक्ति बनाए रखें।
- इस साधना को 21, 51 या 108 दिनों तक नियमित रूप से करें।
मंत्र के लाभ
- यह मंत्र साधक के मन को शांत करता है और मानसिक तनाव को दूर करता है।
- इससे साधना शक्ति बढ़ती है और आत्मबल मजबूत होता है।
- आर्थिक तंगी, पारिवारिक कलह और कार्यों में रुकावटें दूर होती हैं।
- विवाह, संतान सुख और जीवन में सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- साधक को देवी कमाक्षी की विशेष कृपा प्राप्त होती है जो उसे हर संकट से उबारती है।