Durga Maa Ki Aarti | दुर्गा माँ की आरती

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दुर्गा मां की आरती हिन्दू धर्म में शक्ति और भक्ति का अद्भुत संगम है। इसे गाने से न केवल मन को शांति मिलती है बल्कि मां दुर्गा की कृपा भी प्राप्त होती है। आरती के माध्यम से भक्त मां दुर्गा की महिमा का गुणगान करते हैं और उनके नौ रूपों की आराधना करते हैं। यह आरती नवरात्रि और अन्य शुभ अवसरों पर विशेष रूप से गाई जाती है, जिससे माहौल पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भर जाता है।

दुर्गा माँ की आरती

जय अम्बे गौरी… मैया जय श्यामा गौरी,
तुमको निशिदिन ध्यावत… हरि ब्रह्मा शिवरी ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

माँग सिन्दूर विराजत… टीको मृगमद को ,
उज्जवल से दोउ नैना… चन्द्रवदन नीको ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

कनक समान कलेवर… रक्ताम्बर राजै,
रक्तपुष्प गल माला… कण्ठन पर साजै ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

केहरि वाहन राजत… खड्ग खप्परधारी ,
सुर-नर-मुनि-जन सेवत… तिनके दुखहारी ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

कानन कुण्डल शोभित… नासाग्रे मोती ,
कोटिक चन्द्र दिवाकर… सम राजत ज्योति ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे… महिषासुर घाती ,
धूम्र विलोचन नैना… निशिदिन मदमाती ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

चण्ड-मुण्ड संहारे… शोणित बीज हरे ,
मधु-कैटभ दोउ मारे… सुर भयहीन करे ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी,
आगम-निगम-बखानी… तुम शिव पटरानी ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत… नृत्य करत भैरूँ ,
बाजत ताल मृदंगा… अरु बाजत डमरु ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

तुम ही जग की माता… तुम ही हो भरता ,
भक्तन की दु:ख हरता… सुख सम्पत्ति करता ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

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भुजा चार अति शोभित… वर-मुद्रा धारी ,
मनवान्छित फल पावत… सेवत नर-नारी ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

कन्चन थाल विराजत… अगर कपूर बाती ,
श्रीमालकेतु में राजत… कोटि रतन ज्योति ॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

श्री अम्बेजी की आरती… जो कोई नर गावै ,
कहत शिवानन्द स्वामी… सुख सम्पत्ति पावै॥
॥ ॐ जय अम्बे गौरी ॥

दुर्गा मां की आरती हमें यह सिखाती है कि कठिन समय में भी हमें अपनी आस्था और शक्ति को बनाए रखना चाहिए। मां दुर्गा की आरती गाने से जीवन में सकारात्मकता और आत्मविश्वास बढ़ता है। यह आरती न केवल भक्तों को भक्ति में डुबोती है बल्कि उनके जीवन में नई ऊर्जा और उमंग भरती है। तो आइए, मां दुर्गा की आरती का गुणगान करें और उनकी अनंत कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करें। जय माता दी!