

दुर्गा आरती एक अत्यंत लोकप्रिय और शक्तिशाली भजन है, जो माता दुर्गा की पूजा में विशेष रूप से गाया जाता है। यह आरती माता के अद्भुत रूप और उनकी महिमा का गुणगान करती है। देवी दुर्गा को शक्ति, साहस, और रक्षिका माना जाता है, और इस आरती के माध्यम से भक्त माता से आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना करते हैं। दुर्गा आरती में उनके कई रूपों का वर्णन किया गया है, जो उनके अद्वितीय और दिव्य शक्तियों का प्रतीक हैं। इस आरती का उच्चारण करने से न केवल मनुष्य की मनोकामनाएँ पूरी होती हैं, बल्कि यह आत्मिक शांति और मानसिक बल भी प्रदान करती है।

आरती
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी,
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।
रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी।
सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों।
बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे,
॥ॐ जय अम्बे गौरी॥
॥जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी॥
दुर्गा आरती केवल एक भजन नहीं, बल्कि एक सशक्त मंत्र है, जो हमारी आत्मा को ऊर्जा और प्रेरणा प्रदान करता है। इसे भक्ति भाव से गाने से जीवन में संकट दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। अगर हम इसे पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ गाते हैं, तो यह हमारे जीवन को एक नई दिशा दे सकती है। माता दुर्गा की कृपा से हम हर प्रकार की कठिनाईयों से उबर सकते हैं और अपने जीवन को सुखमय बना सकते हैं। अत: दुर्गा आरती को नियमित रूप से गाने से हम आत्मिक उन्नति की ओर अग्रसर होते हैं।