भगवान धन्वंतरि, आयुर्वेद के जनक और आरोग्य के देवता माने जाते हैं। उनके द्वारा दिया गया ‘धन्वंतरि मंत्र’ न केवल शारीरिक रोगों को दूर करता है, बल्कि मानसिक शांति और आयुर्वर्धन में भी सहायक है। इस लेख में हम ‘dhanvantari mantra lyrics’ की महत्ता, उसकी सही विधि और लाभों को विस्तार से समझेंगे।
धन्वंतरि मंत्र लिरिक्स
ध्यानं
अच्युतानंत गोविंद विष्णो नारायणाऽमृत
रोगान्मे नाशयाऽशेषानाशु धन्वंतरे हरे ।
आरोग्यं दीर्घमायुष्यं बलं तेजो धियं श्रियं
स्वभक्तेभ्योऽनुगृह्णंतं वंदे धन्वंतरिं हरिम् ॥
शंखं चक्रं जलौकां दधदमृतघटं चारुदोर्भिश्चतुर्भिः ।
सूक्ष्मस्वच्छातिहृद्यांशुक परिविलसन्मौलिमंभोजनेत्रम् ।
कालांभोदोज्ज्वलांगं कटितटविलसच्चारुपीतांबराढ्यम् ।
वंदे धन्वंतरिं तं निखिलगदवनप्रौढदावाग्निलीलम् ॥
धन्वंतरेरिमं श्लोकं भक्त्या नित्यं पठंति ये ।
अनारोग्यं न तेषां स्यात् सुखं जीवंति ते चिरम् ॥
मंत्रं
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय धन्वंतरये अमृतकलशहस्ताय
[वज्रजलौकहस्ताय] सर्वामयविनाशनाय त्रैलोक्यनाथाय श्रीमहाविष्णवे स्वाहा ।
धन्वंतरि मंत्र एक ऐसा दिव्य माध्यम है जो न केवल रोगों से लड़ने की शक्ति देता है बल्कि आयुर्वेद की अमूल्य परंपरा को भी जीवित रखता है। अगर आप जीवन में आरोग्य, शांति और समृद्धि चाहते हैं तो इस पवित्र मंत्र का नित्य श्रद्धा से जाप करें। यह मंत्र आपको तन, मन और जीवन – तीनों में संतुलन प्रदान करता है।
धन्वंतरि मंत्र जाप विधि
- प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- सामने भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा या चित्र रखें।
- दीपक और धूप जलाएं।
- तुलसी दल या पीले फूल चढ़ाएं।
- रुद्राक्ष या चंदन की माला से मंत्र का जाप करें।
- कम से कम 108 बार मंत्र जाप करें।
- जाप के बाद आरती करें और प्रसाद बांटें।
धन्वंतरि मंत्र के लाभ
- शारीरिक रोगों से मुक्ति – यह मंत्र रोगों की उग्रता को शांत करता है।
- मानसिक शांति – तनाव, चिंता और अवसाद को दूर करने में सहायक है।
- दीर्घायु और आरोग्यता – नियमित जाप से आयु में वृद्धि और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।
- औषधियों में प्रभाव बढ़ाना – यदि दवा लेते समय इसका जाप किया जाए तो उसका प्रभाव बढ़ता है।
- परिवार और संतान की रक्षा – यह मंत्र संपूर्ण परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा करता है।