चैत्र नवरात्रि पर नौ गौरी के दर्शन के क्रम में पंचम दिन माता विशालाक्षी देवी के दर्शन का विधान है। नवरात्र के पांचेन दिन शनिवार दिनांक 13 अप्रैल को विशालाक्षी देवी के दर्शन को भक्तों का हुजूम उमड़ता है। इस अवसर पर माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है। मंदिर परिसर को खुशबूदार फूलों और पत्तियों से आकर्षक सजावट की जाती है। भोर में मंगला आरती के बाद मंदिर के कपाट दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए जाएंगे। भोर से शुरू हुए दर्शन-पूजन का क्रम देर रात तक जारी रहेगा।
मंदिर के महंत पं सुरेश कुमार तिवारी ने बताया कि
यह वही शक्ति पीठ है जहाँ माता सती का नेत्र गिरा था और जहाँ बाबा काशी विश्वनाथ रात में विश्राम करते हैं। माता सुहागिनों को तो इष्ट देवी हैं ही। सच्चे मन और श्रद्धा से जो भक्त माता के दर्शन मात्र कर ले तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।