देवी दुर्गा की पूजा भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है, और उनका पाठ विशेष रूप से शक्ति, समृद्धि और सुख-शांति के लिए किया जाता है। “दुर्गा पाठ” न केवल मानसिक शांति को बढ़ाता है, बल्कि यह जीवन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने में भी मदद करता है। जब हम दुर्गा माता का ध्यान करते हैं, तो उनका आशीर्वाद हमें हर प्रकार की परेशानियों से उबारने की शक्ति प्रदान करता है। इस लेख में हम जानेंगे कि दुर्गा पाठ कैसे करें और इसके लाभ क्या हैं।
दुर्गा पाठ
मंत्र
ॐ ऐं आत्मतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा,
ॐ ह्रीं विद्यातत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा।
ॐ क्लीं शिवतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा,
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सर्वतत्त्वं शोधयामि नमः स्वाहा।
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः
ॐ नमः परमात्मने, श्रीपुराणपुरुषोत्तमस्य श्रीविष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीयपरार्द्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गतब्रह्मावर्तैकदेशे पुण्यप्रदेशे बौद्धावतारे वर्तमाने यथानामसंवत्सरे अमुकामने महामांगल्यप्रदे मासानाम् उत्तमे अमुकमासे अमुकपक्षे अमुकतिथौ अमुकवासरान्वितायाम् अमुकनक्षत्रे अमुकराशिस्थिते सूर्ये अमुकामुकराशिस्थितेषु चन्द्रभौमबुधगुरुशुक्रशनिषु सत्सु शुभे योगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभ पुण्यतिथौ सकलशास्त्र श्रुति स्मृति पुराणोक्त फलप्राप्तिकामः अमुकगोत्रोत्पन्नः अमुक नाम अहं ममात्मनः सपुत्रस्त्रीबान्धवस्य श्रीनवदुर्गानुग्रहतो ग्रहकृतराजकृतसर्व-विधपीडानिवृत्तिपूर्वकं नैरुज्यदीर्घायुः पुष्टिधनधान्यसमृद्ध्यर्थं श्री नवदुर्गाप्रसादेन सर्वापन्निवृत्तिसर्वाभीष्टफलावाप्तिधर्मार्थ- काममोक्षचतुर्विधपुरुषार्थसिद्धिद्वारा श्रीमहाकाली-महालक्ष्मीमहासरस्वतीदेवताप्रीत्यर्थं शापोद्धारपुरस्परं कवचार्गलाकीलकपाठ- वेदतन्त्रोक्त रात्रिसूक्त पाठ देव्यथर्वशीर्ष पाठन्यास विधि सहित नवार्णजप सप्तशतीन्यास- धन्यानसहितचरित्रसम्बन्धिविनियोगन्यासध्यानपूर्वकं च ‘मार्कण्डेय उवाच॥ सावर्णिः सूर्यतनयो यो मनुः कथ्यतेऽष्टमः।’ इत्याद्यारभ्य ‘सावर्णिर्भविता मनुः’ इत्यन्तं दुर्गासप्तशतीपाठं तदन्ते न्यासविधिसहितनवार्णमन्त्रजपं वेदतन्त्रोक्तदेवीसूक्तपाठं रहस्यत्रयपठनं शापोद्धारादिकं च किरष्ये/करिष्यामि॥
देवी दुर्गा के पाठ का नियमित रूप से अभ्यास करने से न केवल व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान होता है, बल्कि यह हमारे जीवन को एक नया दिशा और उद्देश्य भी प्रदान करता है। दुर्गा माता का आशीर्वाद हर समय हमारे साथ बना रहे, यही हम उनकी पूजा में श्रद्धा और भक्ति से वचनबद्ध होते हैं। यदि आपने यह पाठ किया है, तो यह समय है कि आप “दुर्गा सप्तशती” और “दुर्गा आरती” जैसे अन्य महत्वपूर्ण भजनों और पाठों का भी अनुसरण करें, ताकि हर क्षेत्र में सफलता और शांति का अनुभव किया जा सके।
दुर्गा पाठ की विधि
- स्थान और स्वच्छता: सबसे पहले, पूजा के स्थान को स्वच्छ करें। यह आवश्यक है कि आप उस स्थान पर शांति और संतुलन का अनुभव करें।
- सामग्री की तैयारी: पूजा के लिए उचित सामग्री जैसे दीपक, अगरबत्तियाँ, फूल, चंदन, तुलसी पत्र, और देवी दुर्गा की चित्र/मूर्ति तैयार करें।
- पाठ का प्रारंभ: सबसे पहले, ध्यान और आह्वान करें और फिर दुर्गा सप्तशती या दुर्गा अष्टक्शर मंत्र का पाठ करें। यह मंत्र देवी की शक्ति को जाग्रत करता है।
- स्नान और शुद्धता: पूजा के दौरान स्नान करें और शुद्ध मन से ध्यान लगाएं। इससे मन और आत्मा दोनों को शांति मिलती है।
- अर्चना (Offering): देवी को ताजे फूल और अर्पित करें। हर मंत्र के साथ, एक फूल देवी को अर्पित करें।
- अंतिम अर्चना: पाठ समाप्त होने के बाद, देवी की आरती करें और श्रद्धा पूर्वक आशीर्वाद प्राप्त करें।
दुर्गा पाठ के लाभ
- शक्ति की प्राप्ति: दुर्गा पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शक्ति की प्राप्ति होती है। यह आपको जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने के लिए मानसिक बल प्रदान करता है।
- रोग और विघ्नों का नाश: यह पाठ व्यक्ति को किसी भी प्रकार के रोगों और विघ्नों से मुक्ति दिलाता है। यदि आप किसी बीमारी से ग्रस्त हैं या किसी विघ्न से जूझ रहे हैं, तो यह पाठ विशेष रूप से लाभकारी होता है।
- समृद्धि और सुख-शांति: देवी दुर्गा की कृपा से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, धन और सुख-शांति आती है। यह पाठ घर में सुखमय वातावरण बनाने में मदद करता है।
- मन की शांति: दुर्गा पाठ से मन को शांति और स्थिरता मिलती है। यह मानसिक तनाव को कम करता है और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह पाठ व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी प्रेरित करता है। यह उसे आत्म-साक्षात्कार और ईश्वर के प्रति श्रद्धा की भावना से भर देता है।