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पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर विशेष कानून बने: दीपक सिंह

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समाज में व्याप्त कुरीतियों पर सीधा प्रहार करने और गुंडों तथा माफियाओं के खिलाफ प्रखर आवाज उठाने वाले पत्रकार अपनी जान को खतरे में डालकर काम करते हैं। इसलिए उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी पूरी तरह से सरकार को उठानी चाहिए। यह बातें यूपी जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (उपजा) के जिलाध्यक्ष दीपक सिंह ने सोमवार को पत्र प्रतिनिधियों से अनौपचारिक वार्ता के दौरान कही।

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दीपक सिंह ने कहा कि पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग लंबे समय से उठाई जा रही है और अब इसे लागू करने का सही वक्त आ चुका है। पत्रकारों के उत्पीड़न की घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं और केंद्र व राज्य सरकारें इन घटनाओं को रोकने में पूरी तरह असफल साबित हो रही हैं। उन्होंने सीतापुर जिले में एक दैनिक समाचार पत्र के पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी की गोली मारकर हत्या की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि इस घटना ने देशभर के पत्रकारों को आक्रोशित कर दिया है।

दीपक सिंह ने आगे कहा कि यूपी और बिहार जैसे राज्यों में पत्रकारों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को देखते हुए सरकारों को उन राज्यों से सीख लेने की आवश्यकता है, जिन्होंने पत्रकार सुरक्षा कानून को लागू कर पत्रकारों को निडर होकर काम करने का माहौल प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि अब उपजा के बैनर तले सभी पत्रकारों को एकजुट होकर एक गंभीर संघर्ष शुरू करने की आवश्यकता है। यह संघर्ष पत्रकारों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए होगा।

दीपक सिंह ने सभी पत्रकारों से अपील की कि वे एकजुट होकर अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाएं। इस अवसर पर उपजा के कई वरिष्ठ पत्रकार भी उपस्थित रहे। इनमें रविशंकर पांडेय, गौरव श्रीवास्तव, अशोक द्विवेदी, शीतला रॉय, महेंद्र सिंह, राजेंद्र प्रकाश, आशीष विद्यार्थी, अरविंद पटवा, हरि ओम आनंद, आरिफ हाशमी, राकेश चंद्र यादव, राजेश कुमार जायसवाल, अजय सिंह राजपूत, न्याज अहमद खान, राहुल मिश्रा, चंद्रजीत पटेल, फरीदुद्दीन, नीरज अग्रहरि, अबुल कैश डब्बल, अखिलेश कुमार, विष्णु वर्मा, अलीम हाशमी, नवीन राय, अवधेश राय, अमित कुमार, उमेश मोदनवाल, अनिल गुप्ता, संदीप कुमार आदि प्रमुख पत्रकार शामिल थे।

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सभी पत्रकारों ने इस मुद्दे पर एकजुटता का संकल्प लिया और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया।

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