नए साल के आगमन से पहले काशी में पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ रही है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु और सैलानी गंगा घाटों पर पहुंचकर नावों से गंगा भ्रमण कर रहे हैं, लेकिन सुरक्षा इंतजामों की हकीकत बेहद चिंताजनक है। गंगा में नावों से किया जा रहा सफर कई जगहों पर असुरक्षित नजर आया।

जांच के दौरान सामने आया कि 35 से 40 प्रतिशत पर्यटकों को लाइफ जैकेट उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। सबसे गंभीर स्थिति बच्चों की है, जिनके लिए किसी भी नाव पर लाइफ जैकेट की व्यवस्था नहीं मिली। जो जैकेट उपलब्ध हैं, उनमें से कई फटी हुई, बहुत पुरानी और खराब हालत में पाई गईं। कई लाइफ जैकेट की बेल्ट तक टूटी हुई हैं, जिससे उनकी उपयोगिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी यहीं तक सीमित नहीं है। नावों पर रेडियम पट्टी नहीं लगी है, जिससे कोहरे के दौरान संचालन बेहद जोखिम भरा हो जाता है। बावजूद इसके, कोहरे में भी नावों का संचालन लगातार जारी है, जिससे हादसे की आशंका बनी रहती है।
इसके साथ ही नाव मालिकों द्वारा तय क्षमता से अधिक सवारियां बैठाई जा रही हैं। अस्सी, नमो, ललिता, दशाश्वमेध और पंचगंगा घाट पर क्षमता से ज्यादा यात्रियों को नावों में सवार किया गया। कई जगह सीढ़ियों से पर्यटकों का हाथ पकड़कर उन्हें नाव तक ले जाया गया, जो खुद में जोखिम भरा है।
किराये को लेकर भी मनमानी सामने आई है। कोई नाव मालिक 300 रुपये, कोई 500 रुपये तो कोई 1000 रुपये में गंगा भ्रमण कराने की बात करता दिखा। नमो घाट पर स्थिति और गंभीर रही, जहां नगर निगम द्वारा तय 375 रुपये के बजाय अस्सी घाट तक प्रति व्यक्ति 500 रुपये वसूले गए।
पर्यटकों से मोटा किराया वसूलने के बावजूद सुरक्षा के नाम पर केवल खानापूर्ति की जा रही है। प्रशासन और संबंधित विभागों की निगरानी के अभाव में गंगा में नाव यात्रा पर्यटकों के लिए खतरे का सबब बनती जा रही है।
