हिमाचल प्रदेश इस समय शीतलहर की चपेट में है, जिससे लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। राज्य के कई जिलों में मौसम ने विकराल रूप ले लिया है, और शीतलहर के कारण न्यूनतम तापमान लगातार गिरता जा रहा है। माैसम विज्ञान केंद्र शिमला ने अगले कुछ दिनों के लिए चेतावनी जारी करते हुए बताया कि शीतलहर का असर और बढ़ सकता है।
अगले छह दिनों तक जारी रहेगा शीतलहर का प्रकोप
शिमला के मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, हिमाचल प्रदेश के निचले पहाड़ी और मैदानी इलाकों में अगले छह दिनों तक शीतलहर का प्रकोप जारी रहेगा। बीते 24 घंटों के दौरान ऊना, हमीरपुर, मंडी और सुंदरनगर में शीतलहर का अधिक असर देखा गया है। इन क्षेत्रों में ठंड के कारण सुबह और रात में लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
राज्य के कई हिस्सों में सर्द हवाएं चल रही हैं, जो लोगों की दिक्कतें बढ़ा रही हैं। ठंड के इस बढ़ते असर को देखते हुए मौसम विभाग ने अगले चार दिनों के लिए ऑरेंज और येलो अलर्ट जारी किया है। खासकर बिलासपुर, हमीरपुर, ऊना, चंबा, कांगड़ा और मंडी जिलों के कुछ इलाकों में तेज शीतलहर चलने की संभावना जताई गई है।
कई इलाकों में तापमान शून्य से नीचे पहुंचा
राज्य के ऊंचाई वाले इलाकों में तापमान माइनस में दर्ज किया गया है। बीते 24 घंटों में हिमाचल के सात स्थानों पर न्यूनतम तापमान शून्य से नीचे पहुंच गया है, जबकि तीन स्थानों पर यह शून्य के आसपास दर्ज किया गया। ठंड का यह आलम है कि लोग घरों से बाहर निकलने से भी बच रहे हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में जलाशय और नदियां जमने लगी हैं, जिससे पानी की किल्लत हो सकती है।
मैदानी क्षेत्रों में भी ठंड का प्रकोप कम नहीं है। सुबह और शाम को सर्द हवाओं के चलते जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो रहा है। ठंड के कारण स्कूल जाने वाले बच्चे और दिहाड़ी मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
सतर्कता की अपील: ठंड से बचने के लिए करें यह उपाय
मौसम विभाग ने स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। खासतौर पर बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे बिना जरूरत के बाहर निकलने से बचें और ठंड से बचने के उपाय करें। इसके अलावा, रात के समय गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करें और ठंड से बचाव के लिए पर्याप्त व्यवस्था करें।
शीतलहर से जनजीवन प्रभावित
हिमाचल प्रदेश के मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में शीतलहर ने जनजीवन को पूरी तरह प्रभावित कर दिया है। कांगड़ा, चंबा और मंडी जिलों में सुबह के समय घना कोहरा छाने से दृश्यता काफी कम हो गई है, जिससे यातायात प्रभावित हो रहा है। वाहन चालकों को खासतौर पर सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
दूसरी ओर, ठंड के कारण बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर लोगों की आवाजाही कम हो गई है। ग्रामीण इलाकों में, जहां पहले ही सुविधाओं की कमी है, ठंड ने लोगों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। किसान वर्ग भी इस मौसम में प्रभावित हो रहा है, क्योंकि फसलों को पाले से नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ गया है।
क्या कहता है मौसम विभाग?
मौसम विभाग ने संकेत दिया है कि ठंड का यह सिलसिला अभी जारी रहेगा। अगले एक सप्ताह तक राज्य में ठंड और शीतलहर का प्रभाव बना रहेगा। विभाग ने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना भी व्यक्त की है, जिससे ठंड और बढ़ सकती है। विभाग के मुताबिक, शीतलहर के कारण न केवल न्यूनतम बल्कि अधिकतम तापमान भी सामान्य से नीचे रहेगा।
पर्यटकों के लिए चेतावनी
हिमाचल प्रदेश सर्दियों के मौसम में पर्यटकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन जाता है। हालांकि, शीतलहर और ठंड के मौजूदा हालात को देखते हुए पर्यटकों को भी सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। ऊंचाई वाले इलाकों में सड़कें बर्फ के कारण फिसलन भरी हो सकती हैं, जिससे यात्रा के दौरान खतरा बढ़ सकता है।
मौसम विभाग ने पर्यटकों को यात्रा से पहले मौसम की जानकारी लेने और पूरी तैयारी के साथ यात्रा करने की सलाह दी है। इसके अलावा, ठंड से बचने के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े और अन्य आवश्यक सामान साथ रखने की भी अपील की गई है।
नदियों और जलाशयों पर बर्फ की परत
हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों में ठंड के कारण नदियों और जलाशयों पर बर्फ जमने लगी है। इससे ग्रामीण इलाकों में पानी की उपलब्धता में दिक्कतें आ सकती हैं। प्रशासन ने इस संबंध में अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं, ताकि लोगों को पानी की किल्लत से बचाया जा सके।
ठंड के प्रभाव को कम करने की कोशिशें
राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन शीतलहर के प्रभाव को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। सार्वजनिक स्थानों पर अलाव जलाने की व्यवस्था की जा रही है, और लोगों को ठंड से बचाव के उपाय सुझाए जा रहे हैं।
इसके साथ ही, अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को भी अलर्ट पर रखा गया है, ताकि ठंड से संबंधित किसी भी मेडिकल इमरजेंसी से निपटा जा सके। राज्य सरकार ने स्कूलों में भी ठंड के कारण समय बदलने पर विचार किया है।