लोक आस्था और सूर्योपासना का महापर्व छठ आज से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया है। चार दिवसीय इस पर्व में पहले दिन व्रती श्रद्धालु गंगा या किसी पवित्र जलस्रोत में स्नान कर शुद्धता का प्रतीक भोजन ग्रहण करते हैं, जिसे नहाय-खाय कहा जाता है। इस दिन व्रती लौकी की सब्जी, चना दाल और चावल का विशेष भोजन तैयार करते हैं। यह भोजन पवित्रता और सात्विकता का परिचायक होता है, जिसे ग्रहण कर व्रती अगले तीन दिनों तक व्रत का संकल्प लेते हैं।
छठ पर्व मुख्यतः बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है, लेकिन आज देश-विदेश में भी इसका विस्तार हो चुका है। यह पर्व सूर्य देवता की उपासना का प्रतीक है, जिसमें व्रती चार दिनों तक उपवास रखकर सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। पर्व के दूसरे दिन ‘खरना’ का आयोजन होता है, जिसमें विशेष प्रसाद और पूजा की जाती है। तीसरे दिन व्रती डूबते सूर्य को जल में खड़े होकर अर्घ्य अर्पित करते हैं, जबकि चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है।
छठ पर्व में श्रद्धालुओं का भावनात्मक जुड़ाव और प्रकृति के प्रति सम्मान देखने को मिलता है। इसमें शुद्धता, त्याग और अनुशासन का विशेष महत्व है। छठ व्रत को संतान सुख, परिवार की खुशहाली और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। छठ पर्व का आयोजन न केवल आध्यात्मिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है।