भारतीय सनातन परंपरा में मां लक्ष्मी केवल धन की देवी नहीं, बल्कि जीवन के आठ रूपों में सुख, समृद्धि, विद्या, वैभव, साहस, संतान, विजय और संकल्प की प्रतीक मानी जाती हैं। इन्हीं आठ स्वरूपों को अष्टलक्ष्मी कहा जाता है। इन आठों स्वरूपों को समर्पित Ashtalakshmi Gayatri Mantra एक दिव्य और शक्तिशाली मंत्र है जो न केवल आर्थिक उन्नति देता है बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और प्रगति लाता है। इस लेख में हम जानेंगे इस मंत्र के जाप की विधि, इसके लाभ और इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।
मंत्र
ॐ महा लक्ष्म्यै च विद्महे |
विष्णुपत्न्यै च धीमहि |
तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ॥
Ashtalakshmi Gayatri Mantra न केवल एक साधना है, बल्कि यह एक पूर्ण जीवनशैली है जो व्यक्ति को हर दृष्टि से समृद्ध बनाती है। अगर आप चाहते हैं कि आपके जीवन में धन के साथ-साथ शांति, संतान सुख, विद्या, विजय और बल की प्राप्ति हो, तो इस मंत्र का नियमित जाप आरंभ करें।
जाप विधि
- प्रातःकालीन शुद्धता: जाप करने से पहले स्नान कर लें और शांत वातावरण में बैठें।
- लक्ष्मी माता की प्रतिमा या चित्र: सामने मां लक्ष्मी या अष्टलक्ष्मी की तस्वीर रखें और दीपक जलाएं।
- जाप की संख्या: कम से कम 108 बार (1 माला) प्रतिदिन जाप करें। विशेष फल के लिए 11, 21 या 51 दिनों तक नियमित करें।
- शुक्रवार को विशेष दिन मानें: शुक्रवार माता लक्ष्मी का प्रिय दिन होता है। इस दिन व्रत और विशेष पूजा करना अत्यंत फलदायक माना गया है।
मंत्र के लाभ
- आर्थिक उन्नति और धन की प्राप्ति: यह मंत्र व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता दूर करता है और आय के नए स्रोत प्रदान करता है।
- पारिवारिक सुख और शांति: घर में प्रेम, सद्भावना और सौहार्द बनाए रखता है।
- शिक्षा और बुद्धि का विकास: विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र विद्या लक्ष्मी की कृपा दिलाने में सहायक होता है।
- आत्मबल और निर्णय क्षमता में वृद्धि: मंत्र से व्यक्ति को मानसिक स्थिरता और आत्मविश्वास मिलता है।
- सौभाग्य और विजय की प्राप्ति: कार्यों में सफलता और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।