पहले दिन बन रहे हैं अमृत सिद्धि, शश और सर्वार्थ सिद्धि योग~~~~~
चैत्र प्रतिपदा के साथ ही नवसंवत्सर पिंगल की शुरुआत होगी। नवसंवत्सर के राजा मंगल और मंत्री शनि होंगे। हिंदू नववर्ष की शुरुआत पर तीन राजयोग भी बन रहा है। इसके साथ ही मां गौरी की आराधना का नौ दिवसीय महापर्व चैत्र नवरात्र के व्रत भी आरंभ हो जाएंगे। शिव की नगरी काशी गौरी की आराधना में तल्लीन होगी
ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, संवत 2081 में आठ अप्रैल को सोमवार की रात्रि में 11:55 बजे चैत्र प्रतिपदा तिथि शुरू होगी और अगले दिन यानी नौ अप्रैल को रात 8:30 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, चैत्र नवरात्र की प्रतिपदा का व्रत नौ अप्रैल को रखा जाएगा। चैत्र नवरात्रि पर घट स्थापना का मुहूर्त सुबह 6:11 बजे से शुरू होकर 10:23 बजे तक रहेगा। इसके अलावा अभिजीत मुहूर्त में भी कलश स्थापना होगी।
अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:03 बजे से 12:54 बजे तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री के अनुसार इस बार चैत्र नवरात्रि पर तीन राजयोग शश, सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि का निर्माण हो रहा है। नौ अप्रैल को अमृत सिद्धि और सर्वार्थ सिद्धि योग दोनों ही साथ पड़ रहे हैं। ये दोनों ही शुभ योग नौ अप्रैल को सुबह 7:32 बजे से लेकर पूरे दिन रहेगा। ज्योतिष में इन योगों को बहुत शुभ माना गया है।
चैत्र नवरात्रि कैलेंडर
प्रतिपदा तिथि- नौ अप्रैल
द्वितीया तिथि- 10 अप्रैल
तृतीया तिथि- 11 अप्रैल
चतुर्थी तिथि-12 अप्रैल
पंचमी तिथि- 13 अप्रैल
षष्ठी तिथि- 14 अप्रैल
सप्तमी तिथि- 15 अप्रैल
अष्टमी तिथि – 16 अप्रैल
नवमी तिथि, महा नवमी और रामनवमी पूजा- 17 अप्रैल
दशमी तिथि व पारण- 18 अप्रैल