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नवरात्र के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री देवी का मंगला श्रृंगार दर्शन

नवरात्र के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री देवी का मंगला श्रृंगार दर्शन

नवरात्रि के नौवें दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा और दर्शन का विशेष महत्व होता है। देवी सिद्धिदात्री सभी सिद्धियों की प्रदाता मानी जाती हैं, और भक्तों को उनके दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन माता का मंगला श्रृंगार विशेष आकर्षण का केंद्र होता है, जहां वे अत्यंत मनमोहक रूप में सुशोभित होती हैं। माता सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत शांत और करुणामय है। वह चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके हाथों में शंख, चक्र, गदा, और कमल सुशोभित हैं। इनके मस्तक पर दिव्य मुकुट और गले में रत्नजड़ित हार की माला होती है। माता के वस्त्र और आभूषण…
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स्कंद माता: शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन की देवी

स्कंद माता: शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन की देवी

शारदीय नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंद माता की पूजा-अर्चना की जाती है। इन्हें बागेश्वरी देवी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इनकी कृपा से मूर्ख भी ज्ञानी बन सकते हैं। स्कंद माता का नाम स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण पड़ा है। इनकी प्रतिमा में भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजमान होते हैं। स्कंद माता की चार भुजाएं होती हैं। दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वे स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं, जबकि नीचे वाली भुजा में कमल का पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा वरदमुद्रा में…
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नवरात्र के पांचवें दिन मां बागेश्वरी देवी के दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़

नवरात्र के पांचवें दिन मां बागेश्वरी देवी के दर्शन के लिए उमड़ी भक्तों की भीड़

नवरात्र के पावन अवसर पर पांचवें दिन मां बागेश्वरी देवी के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मंदिर के गर्भगृह से लेकर पूरे परिसर में भक्तों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलीं। भोर होते ही श्रद्धालु दर्शन के लिए लाइन में लगना शुरू हो गए थे, और समय बीतने के साथ भीड़ लगातार बढ़ती गई। भक्तों की संख्या इतनी अधिक थी कि मंदिर के बाहर भी कतारें फैल गईं, जिससे इलाके में भक्तिमय माहौल बन गया। मंदिर के चारों ओर "जय माता दी" के गगनभेदी नारे गूंजते रहे, जिससे पूरे वातावरण में श्रद्धा और आस्था का संचार होता…
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नवरात्रि का तीसरा दिन: चंद्रघंटा की पूजा

नवरात्रि का तीसरा दिन: चंद्रघंटा की पूजा

नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। 5 अक्टूबर को इस दिन को मनाने का विशेष महत्व है। देवी चंद्रघंटा का स्वरूप शक्ति और साहस का प्रतीक है। उनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, जिससे उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। देवी का यह रूप शांत और सशक्त दोनों गुणों का मेल है, जो हमें जीवन में संतुलन बनाए रखने का संदेश देता है। देवी चंद्रघंटा मणिपुर चक्र में निवास करती हैं। हमारे शरीर में कुल सात चक्र होते हैं और इनमें अलग-अलग देवियों का वास माना जाता है। मणिपुर चक्र,…
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नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी का मंगला श्रृंगार दर्शन

नवरात्र के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी का मंगला श्रृंगार दर्शन

नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा की जाती है। इस दिन देवी ब्रह्मचारिणी का मंगला श्रृंगार अत्यंत आकर्षक और दिव्य होता है। मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम का प्रतीक हैं, और उनका स्वरूप भक्तों को जीवन में तप, संयम, और साधना का महत्व समझाता है। माता ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, और उनके हाथों में कमंडल तथा माला होती है। उनका मुखमंडल अत्यंत शांत और तेजमय होता है, जो भक्तों को सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। इस दिन मंदिरों में माता का विशेष श्रृंगार किया जाता है, जिसमें सफेद पुष्प, सुगंधित चंदन, रत्नों से…
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मां भगवती को यह भोग लगाएं होंगी सभी इच्छायें पूरी

मां भगवती को यह भोग लगाएं होंगी सभी इच्छायें पूरी

मां भगवती या देवी दुर्गा की पूजा भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है। मां भगवती को शक्ति की देवी माना जाता है, जो संसार की समस्त शक्तियों का आधार हैं। उनके चरणों में भक्ति अर्पण करना और उन्हें भोग लगाना एक महत्वपूर्ण धार्मिक क्रिया मानी जाती है। भोग लगाना न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि इसे देवी की कृपा पाने का भी महत्वपूर्ण माध्यम माना जाता है। भक्तजन मां भगवती को भोग अर्पण कर उनसे अपनी सभी इच्छाओं की पूर्ति की कामना करते हैं। मां भगवती का महत्व मां भगवती को शक्ति, ज्ञान और समृद्धि की देवी…
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पितृपक्ष में क्या न करें: एक विस्तृत मार्गदर्शन

पितृपक्ष में क्या न करें: एक विस्तृत मार्गदर्शन

हिंदू धर्म में पितृपक्ष एक विशेष समय है जो पूर्वजों की आत्माओं को समर्पित होता है। यह अवधि श्राद्ध कर्म और तर्पण द्वारा पितरों को प्रसन्न करने के लिए मानी जाती है। पितृपक्ष में श्राद्ध का महत्व अत्यधिक है क्योंकि माना जाता है कि इस समय पूर्वजों की आत्माएं धरती पर आती हैं और उनके परिजन उन्हें तर्पण और श्रद्धा अर्पित करके शांति प्रदान करते हैं। इस अवधि में कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है, ताकि पूर्वजों को संतुष्टि प्राप्त हो और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहे। पितृपक्ष के दौरान कुछ ऐसे कार्य हैं जो परंपरागत रूप…
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पितृ पक्ष आज से शुरू, श्राद्ध कार्यक्रम का शुभारंभ

पितृ पक्ष आज से शुरू, श्राद्ध कार्यक्रम का शुभारंभ

पितृ पक्ष आज, बुधवार से आरंभ हो रहे हैं और 2 अक्टूबर को पितरों की विदाई दी जाएगी। इस समय को पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने का उपयुक्त अवसर माना जाता है। जिन लोगों को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि मालूम नहीं है, वे 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या के दिन श्राद्धकर्म कर सकते हैं। यह श्राद्ध 30 सितंबर तक चलेगा, जिसके अंतर्गत पिंडदान, तर्पण और अन्य अनुष्ठान किए जाएंगे। पिंडदान का महत्व ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और श्राद्ध कर्म आवश्यक हैं। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों पितरों की आत्माएं…
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पूरी भव्यता और धार्मिक विधि से अर्पित हुआ संकट मोचन मंदिर दरबार में स्वर्ण मुकुट

पूरी भव्यता और धार्मिक विधि से अर्पित हुआ संकट मोचन मंदिर दरबार में स्वर्ण मुकुट

•"राम काज करीबे को आतुर" नारों से गुंजायमान हुआ माहौल वाराणसी। धर्म की नगरी काशी अपने अनूठे कार्यों के लिए जानी जाती है। काशी जिसको अपना लेती है तो उसके लिए कुछ भी कर सकती है ऐसा ही हुआ आज जब काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर मीडिया रिसर्च एंड वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार डॉक्टर अरविंद सिंह के नेतृत्व में काशी के मूर्धन्य विद्वान प्रोफेसर रामचंद्र पांडे के नेतृत्व में वैदिक ब्राह्मणों ने पवित्र मंत्रोचार के साथ संकटमोचन मंदिर के राम दरबार में स्वर्ण मुकुट को अर्पित किया। लोक…
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पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के उपाय

पितृपक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के उपाय

पितृपक्ष हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण समय होता है, जिसमें लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके लिए तर्पण, श्राद्ध, और दान जैसे कार्य करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान पितर धरती पर आते हैं और उनकी संतुष्टि के लिए किया गया कर्म उन्हें शांति प्रदान करता है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं: 1. तर्पण और श्राद्ध: पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करने का प्रमुख माध्यम तर्पण और श्राद्ध होता है। यह कर्म पितृपक्ष के दौरान किसी भी दिन किया जा सकता है, परंतु सर्वपितृ अमावस्या का…
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