25
Aug
हम देखे ढोटा नंद के यह पंक्ति ब्रजभूमि की उस अनुपम झांकी का चित्रण है, जहाँ नंदलाल की बाल लीलाएँ भक्तों के हृदय में जीवंत हो उठती हैं। यह केवल शब्द नहीं, बल्कि वह भाव है जो कान्हा की मुस्कान, उनकी नटखट अदाओं और ग्वाल-बालों के संग उनके हर्षित स्वरूप को सामने ले आता है। इस भजन की गूंज सुनते ही ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं गोपाल हमारे सम्मुख खड़े होकर प्रेम का आशीष बरसा रहे हों। Hum Dekhe Dhota Nand Ke हम देखे ढोटा नंद के। हौं सखि ! हैं अवतार सुन्यो अस, ब्रह्म सच्चिदानंद के। भई लटू…
