30
Aug
नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो यह पंक्ति उस आदर्श जीवन की झलक दिखाती है जहाँ मर्यादा, धर्म और संस्कारों का वास हो। जैसे श्रीराम की अयोध्या नगरी सच्चाई और धर्म के प्रकाश से जगमगाती थी, वैसे ही हर घर प्रेम और करुणा का केंद्र बने। इस भाव से भक्ति का एक ऐसा संसार रचता है, जिसमें परिवार और समाज दोनों ही धर्म की डोर से बंधे रहते हैं। Nagari Ho Ayodhya Si Raghukul Sa Garana Ho नगरी हो अयोध्या सी, रघुकुल सा घराना हो । और चरण हो राघव के, जहाँ मेरा ठिकाना हो हौ त्याग भारत…
