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21वें शतचंडी महायज्ञ के लिए निकाली गई कलश शोभायात्रा, वैदिक मंत्रों के साथ हुआ मंडप प्रवेश

21वें शतचंडी महायज्ञ के लिए निकाली गई कलश शोभायात्रा, वैदिक मंत्रों के साथ हुआ मंडप प्रवेश

वाराणसी।काशी सेवा शोध समिति के द्वारा सोमवार को 21वां शतचंडी महायज्ञ चवनेश्वर महादेव मंदिर परिसर भिखारीपुर डीएलडब्लू में आयोजित हो रहा है यह आयोजन 22 सितंबर से 2 अक्टूबर तक चलेगा 21वां शतचंडी महायज्ञ देश के रणबांकुरे सैनिकों को समर्पित होगा। इस बात की जानकारी देते हुए काशी सेवा शोध समिति के राष्ट्रीय सचिव तथा काशी हॉस्पिटल भिखारीपुर के निदेशक डॉक्टर टी पी सिंह ने बताया कि विगत 20 वर्षों से यहां पर शतचंडी महायज्ञ होता आ रहा है।यहां पर 21वें शतचंडी महायज्ञ का आयोजन प्रारंभ हुआ। यज्ञ मंडप प्रवेश से पहले कलश यात्रा निकाली गई। कलश यात्रा भिखारीपुर तिराहे…
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काशी में शारदीय नवरात्र की शुरुआत, मां शैलपुत्री के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

काशी में शारदीय नवरात्र की शुरुआत, मां शैलपुत्री के दर्शन को उमड़े श्रद्धालु

देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी में सोमवार से शक्ति की आराधना की शुरुआत हुई। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन मां शैलपुत्री के दर्शन-पूजन का विधान है। काशी में इनका मंदिर अलईपुरा में स्थित है, जहां सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालुओं का मानना है कि मां शैलपुत्री महान उत्साह वाली देवी हैं और भय का नाश करने वाली हैं। मां की आराधना से यश, कीर्ति, धन, विद्या तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जगदम्बा शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री रूप में अवतरित हुई थीं और कालांतर में पार्वती के रूप में भगवान…
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नवरात्र में इस तरह करें माँ दुर्गा की पूजा, होंगे सभी दुःख दूर

नवरात्र में इस तरह करें माँ दुर्गा की पूजा, होंगे सभी दुःख दूर

नवरात्र में माँ दुर्गा की पूजा विशेष महत्व रखती है। धार्मिक मान्यता है कि भक्त यदि पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से माँ की आराधना करें तो उनके सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। यहाँ नवरात्र में माँ दुर्गा की पूजा विधि और इसके महत्व को विस्तृत रूप में समझाया गया है। नवरात्र का महत्व नवरात्र साल में दो बार आते हैं—चैत्र और आश्विन मास में। यह नौ दिनों का पर्व देवी दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की उपासना के लिए समर्पित होता है। ऐसा माना जाता है कि इन दिनों माँ की…
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निराजल व्रत रहकर कठोर तपस्या के साथ महिलाओं ने पुत्रों की दीर्घायु हेतु किया जिउतिया पूजा

निराजल व्रत रहकर कठोर तपस्या के साथ महिलाओं ने पुत्रों की दीर्घायु हेतु किया जिउतिया पूजा

परंपरागत गाजे बाजे के साथ नव विवाहित दंपत्ति व दंडवत के साथ पूजा स्थल पर पहुंची महिलाएं,उमड़ी भारी भीड़ राजातालाब (वाराणसी)।जीवित्पुत्रिका पर्व के अवसर पर ग्रामीण क्षेत्र के रोहनिया,मोहन सराय, राजातालाब, बीरभानपुर भैरवतालाब, भीमचंडी, महगाव, कोइली, जख्खिनी, मरुई, शाहंशाहपुर, पनियरा, भवानीपुर, जगदेवपुर, काशीपुर ,देउरा, घमहापुर, करसड़ा,बच्छाव, अखरी,जगतपुर, नरऊर, शहावाबाद, दरेखु इत्यादि गांव की महिलाओं ने अपने पुत्रों की लंबी आयु के लिए निराजल व्रत रहकर झुंड के साथ गांव के मंदिरों तथा जलाशयों पर विभिन्न प्रकार के बनाए गए पकवान व मिष्ठान,गन्ना के साथ समूह में बैठकर विधिवत पूजन कर पुत्रों की दीर्घायु हेतु कामना किया। इसके साथ साथ मनौती…
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राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव शुक्रवार को बाबा विश्वनाथ के दरबार पहुंचीं

राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव शुक्रवार को बाबा विश्वनाथ के दरबार पहुंचीं

उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव शुक्रवार को बाबा विश्वनाथ के दरबार पहुंचीं। उन्होंने विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर बाबा से आशीर्वाद लिया। पूजा के बाद अपर्णा यादव ने बाबा काल भैरव मंदिर जाकर भी दर्शन किए और हाजिरी लगाई। धार्मिक आस्था से जुड़ी इस यात्रा के दौरान उनका उत्साह और श्रद्धा साफ झलक रही थी। मंदिरों में दर्शन-पूजन के उपरांत अपर्णा यादव ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से काशी विश्वनाथ धाम का स्वरूप आज इतना भव्य और दिव्य दिखाई देता है। उन्होंने प्रधानमंत्री का अभिनंदन करते हुए…
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34 वर्षों में पांचवीं बार दिन में सम्पन्न हुई मां गंगा की आरती

34 वर्षों में पांचवीं बार दिन में सम्पन्न हुई मां गंगा की आरती

चंद्रग्रहण के कारण वाराणसी के दशाश्वमेध घाट पर विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की आरती इस बार दिन में सम्पन्न कराई गई। गंगा सेवा निधि द्वारा आयोजित यह आरती दोपहर 12 बजे से प्रारंभ होकर चंद्रग्रहण के सूतक काल से पूर्व ही सम्पन्न हो गई। इससे पूर्व भी कई अवसरों पर चंद्रग्रहण के कारण दिन में आरती सम्पन्न कराई गई थी। 28 अक्टूबर 2023, 16 जुलाई 2019, 27 जुलाई 2018 और 7 अगस्त 2017 को भी इसी कारण आरती दिन में हुई थी। इस प्रकार 34 वर्षों में यह पांचवीं बार है जब मां गंगा की आरती दिन में सम्पन्न कराई…
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पीले राम नाम का प्याला | Peele Raam Naam Kaa Payala

पीले राम नाम का प्याला | Peele Raam Naam Kaa Payala

राम नाम का स्मरण ऐसा अमृत है जो हर दुख को हर लेता है और आत्मा को शांति प्रदान करता है। पीले राम नाम का प्याला भजन भक्त को इस दिव्य अमृतपान का निमंत्रण देता है, जहाँ हर सांस में प्रभु का नाम ही मधुर रस बनकर बहता है। यह भजन भक्ति और आनंद से भरा जीवन जीने का संदेश देता है। Peele Raam Naam Kaa Payala पीलो राम नाम का प्याला—-- राम नाम का प्याला पीके जिसको अमृत हो जाए भरी घूंट जो हाला पीलो राम नाम का प्याला—-- मन को अपने पावन करलो हो जैसे कोई शिवाला पीलो…
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किरपा खुब करी है आज तो नाथो के नाथ जी

किरपा खुब करी है आज तो नाथो के नाथ जी

भक्ति का सबसे बड़ा सुख तब होता है जब भक्त अपने जीवन में प्रभु की कृपा को अनुभव करता है। किरपा खुब करी है आज तो नाथो के नाथ जी यह भजन उसी गहन भाव को अभिव्यक्त करता है। यह रचना भक्त के हृदय में उमड़ते हुए आभार और प्रेम को उजागर करती है, जहाँ हर क्षण केवल भगवान की दया और संरक्षण का ही अनुभव होता है। Kirpa Khub Kari Hai Aaj To Natho Ke Nath Ji किरपा खुब करी है आज तो नाथो के नाथ जी सबको दर्शन देने निकले श्री जगन्नाथ जी संग मे बहन सुभद्रा और…
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कौन मेरी नैया पार उतारे | Kaun Meri Naiya Paar Utaare

कौन मेरी नैया पार उतारे | Kaun Meri Naiya Paar Utaare

जीवन की डगर अक्सर कठिनाइयों और तूफ़ानों से भरी होती है, जहाँ मनुष्य स्वयं को असहाय और अकेला पाता है। ऐसे समय में कौन मेरी नैया पार उतारे यह भजन हमें याद दिलाता है कि सच्चा सहारा केवल प्रभु ही हैं। जब साधक अपने हृदय की नैया ईश्वर को सौंप देता है, तब हर संकट से उबरने का मार्ग स्वयं निर्मित हो जाता है। यह भजन आस्था और समर्पण की शक्ति को जगाकर मन को शांति और विश्वास प्रदान करता है। Kaun Meri Naiya Paar Utaare बिन तुम्हारे कौन उबारे कौन नैया मेरी पार उतारे कौन खेवे पतवार मेरी नैया…
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वृंदा-विष्णु लांवा फेरे | Vrinda-Vishanu Lavaan Fere

वृंदा-विष्णु लांवा फेरे | Vrinda-Vishanu Lavaan Fere

वृंदा–विष्णु लांवा फेरे भजन दिव्य मिलन का अद्भुत प्रतीक है, जहाँ श्रद्धा और प्रेम का संगम होता है। इस भजन को सुनते हुए मन भगवान के पवित्र चरणों में समर्पित हो जाता है और आत्मा को शांति प्राप्त होती है। भक्तजन इसे गाकर अपने जीवन को आध्यात्मिक आनंद और भक्ति रस से सराबोर करते हैं। Vrinda-Vishanu Lavaan Fere वृंदा-विष्णु लांवा फेरे    धुन:  रेश्मी सलवार ते कुर्ता जाली दा ।      बैठे दोनों सज-धज, नेड़े नेड़े ने।                 होंण लगे वृंदा-विष्णु दे फेरे ने॥ इक सांवरा ते इक गोरी। बड़ी सुन्दर सोहनी जोडी॥                       चर्चे इस जोड़ी दे चार चुफेरे ने - होंण लगे....…
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